राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिलों का नाम बदलने पर नाराजगी जताकर कहा कि यह मुद्दा महा विकास अघाड़ी के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था। उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्णय के बारे में बाद में पता चला। शरद पवार ने कहा कि वह इस कदम से अनजान थे। यह बिना पूर्व परामर्श के लिया गया था। प्रस्ताव पर कैबिनेट बैठक के दौरान हमारे लोगों ने राय व्यक्त की थी। लेकिन फैसला पूर्व मुख्यमंत्री का था। अगर औरंगाबाद के कल्याण के बारे में फैसला होता तो वो खुश होते।

बीती 29 जनवरी को उद्धव सरकार ने कुछ शहरों के नाम बदलने का बड़ा फैसला किया था। कैबिनेट मीटिंग में औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव नगर करने का ऐलान किया गया है। नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम भी बदलकर डीबी पाटिल इंटरनेशनल एयरपोर्ट करने की बात मीटिंग में कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई के दौरान ही उद्धव कैबिनेट की मीटिंग में यह फैसला लिया था।

उद्धव के इस फैसले को हिंदुत्व के कार्ड के रूप में भी देखा जा रहा है। उद्धव कैबिनेट की बैठक में कांग्रेस ने पुणे का नाम बदलने की भी मांग की थी। कांग्रेस ने पुणे का नाम बदलकर जीजाऊ नगर रखने की मांग रखी थी। जीजाऊ छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई का ही नाम है। महाराष्ट्र में इसका बड़ा महत्व है।

हालांकि इससे पहले 8 जून को औरंगाबाद में शिवसेना की रैली के दौरान उद्धव ठाकरे ने ऐलानिया कहा था कि शहर का नाम बदला जाएगा। औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर लंबे समय से राजनीति हो रही है। उद्धव सरकार ने यह फैसला तब लिया है जब कि उनकी सरकार संकट में थी। एकनाथ शिंदे समेत तकरीबन सारे बागी विधायकों का आरोप है कि उद्धव हिंदुत्व से भटक गए हैं। ऐसे में यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।

हालांकि उद्धव के इस फैसले का विरोध तत्काल होना शुरू हो गया था। सपा विधायक अबु आजमी ने नाराजगी जताते हुए सवाल किया था कि आखिर उद्धव ठाकरे को मुस्लिमों से इतनी नफरत क्यों है। उका कहना था कि ये सब हिंदुत्व का चेहरा बनने के लिए किया गया है।