एनसीपी चीफ शरद पवार पिछले कुछ दिनों से बगावती मूड में नजर आ रहे हैं। अडानी घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मांग का विरोध करने के कुछ दिनों बाद अब एनसीपी ने राज्य भर में बाजार समितियों के महत्वपूर्ण चुनावों में भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है। इस फैसले से ऐसा लग रहा है कि साढे तीन साल के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में दरारें आ गई हैं।
बाजार समितियां कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत 1963 में स्थापित मार्केटिंग कमेटी है, जिसके भीतर अलग-अलग बाज़ारों की कमेटियां इकट्ठी होती हैं। इसका गठन किसानों को उचित दाम दिलवाने, उनकी आवाज बनने और उनके मुद्दों पर लड़ने के लिए किया गया था।
“शरद पवार ने धोखा दिया है”
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक एमपीसीसी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत समितियों में एनसीपी ने भाजपा से हाथ मिला लिया है। हम कार्यकर्ताओं की ओर से आए इनपुट के आधार पर इस ओर ध्यान दे रहे हैं। हम सोमवार को ठाणे में कार्यसमिति की बैठक में इस पर चर्चा करेंगे।
नाना पटोले मीडिया से बात करते हुए कहा कि पवार का जेपीसी की मांग के खिलाफ बयान एक धोखा था। हमें उम्मीद नहीं थी कि पवार राहुल गांधी की मांग का विरोध करेंगे। उन्होने कहा कि जेपीसी जांच की मांग पर कोई समझौता नहीं होगा।
150 से अधिक समितियों में BJP और NCP ने हाथ मिलाया है
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी ने 305 समितियों में से 258 के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया है। हमारी जानकारी है कि भाजपा और एनसीपी 150 से अधिक समितियों में एक साथ चुनाव लड़ेंगे। यह बेहद आपत्तिजनक है।
एनसीपी के इस फैसले के बाद शरद पवार का रुख साफ दिखाई दे रहा है। वह कांग्रेस जेपीसी की मांग के खिलाफ भी उतर चुके हैं, ऐसे में यह साफ तौर पर दिखाई देता है कि MVA गठबंधन में दरार आने की संभावना बढ़ जाती है।