Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने बड़ा दावा किया है। ठाकरे गुट ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) को तोड़ना चाहती थी, जैसे बीजेपी ने शिवसेना को तोड़ा था, लेकिन शरद पवार के मास्टरस्ट्रोक ने बीजेपी यह पूरा गेम प्लान फेल कर दिया।
पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में सोमवार को शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, “भाजपा ने शिवसेना को बांट दिया। इसी तरह बीजेपी, एनसीपी को भी दो हिस्सों में बांटने की प्लानिंग कर रही थी। कुछ लोग बैग लेकर तैयार थे और वहां पहुंचने वालों के लिए ठहरने-खाने की व्यवस्था भी कर रखी थी। हालांकि, शरद पवार के मास्टरस्ट्रोक से बीजेपी की पूरी प्लानिंग कूड़ेदान में चली गई।
NCP का एक धड़ा चाहता था शरद पवार बीजेपी से हाथ मिला लें
संपादकीय में दावा किया गया कि NCP एक धड़ा चाहता था कि शरद पवार भाजपा से हाथ मिला लें। क्योंकि वो लोग प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग की कार्रवाई से बचना चाहते थे। हालांकि इस्तीफे के ऐलान के बाद पवार NCP अध्यक्ष पद पर बने रहने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं, जिस पल उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा की। महाराष्ट्र के राजनीतिक भूभाग को करारा झटका लगा। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन पर इस्तीफा वापस लेने का दबाव डाला।
पवार के नाट्य का पर्दा गिर गया
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि एनसीपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के दबाव के बाद पवार ने एक समिति गठित करने का फैसला किया। इनमें से कई ऐसे थे जो इस बात पर जोर दे रहे थे कि एनसीपी बीजेपी के साथ हाथ मिला ले, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के गुस्से के कारण समिति के पास पार्टी अध्यक्ष के रूप में शरद पवार के इस्तीफे को खारिज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। समिति को पवार को बताना था कि, ‘अब से केवल वे और वे ही अध्यक्ष बने रहेंगे।’ ऐसा पवार से कहना पड़ा और तीसरे अंक का घंटा बजने से पहले ही पवार के नाट्य का पर्दा गिर गया। पवार की वापसी से उनकी पार्टी में चेतना आ गई और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने भी राहत की सांस ली।’
‘पवार के पास अध्यक्ष बने रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था’
संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि पवार के पास अध्यक्ष पद पर बने रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा, ‘उसी समय, इस आयोजन से पवार को यह समझने में मदद मिली कि उनकी पार्टी किस तरफ जा रही है। पवार ने कहा कि जो लोग राकांपा छोड़ना चाहते हैं वे ऐसा कर सकते हैं और वह उन्हें नहीं रोकेंगे। इसका मतलब है कि जो लोग जाना चाहते थे, उन्हें कम से कम अस्थायी रूप से उनके रास्ते में ही रोक दिया गया है। हालांकि, भाजपा के रहने-खाने की सुविधा अभी भी बनी हुई है।”
आरोप है कि भाजपा लोकतांत्रिक तरीकों से चुनाव जीतने में विश्वास नहीं करती है। उसमे अपने दम पर चुनाव जीतने की क्षमता नहीं है। यह ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग का इस्तेमाल करना चाहती है और अपना राजनीतिक खेल खेलना चाहती है।