महाराष्ट्र में करीब 10 दिनों तक राजनीतिक घटनाक्रम चलता रहा और उसके बाद 30 जून को एकनाथ शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। घटनाक्रम में सबसे नाटकीय मोड़ तब आया जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टीवी पर ऐलान किया कि देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाले।

इंडियन एक्सप्रेस में वरिष्ठ पत्रकार कोमी कपूर ने लिखा कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री के रूप में आश्चर्यजनक घोषणा और देवेंद्र फडणवीस की डिप्टी सीएम पद की स्वीकृति अमित शाह की छाप थी। फडणवीस ने शिवसेना के विद्रोह में भूमिका निभाई। उन्होंने शुरू से ही अमित शाह को महाराष्ट्र के घटनाक्रम से अवगत रखा। ऑपरेशन टॉपल इतना गुप्त था कि जब देवेंद्र फडणवीस 25 जून की रात अमित शाह और शिंदे से मिलने वडोदरा गए, तो उन्होंने ठाकरे के आदमियों को दूर करने के लिए सबसे पहले इंदौर के लिए विमान पकड़ा।

भाजपा ने एकनाथ शिंदे को लेकर छह महीने से अधिक समय तक काम किया। आयकर अधिकारियों द्वारा शिन्दे के एक करीबी सहयोगी के परिसरों पर छापेमारी के दौरान शिवसेना नेता विशेष रूप से बौखला गए थे। अमित शाह और फडणवीस ने लंबे समय से अपने मतभेदों को दूर किया हुआ है। लेकिन अमित शाह ने शिंदे के उत्थान और फडणवीस के अपमान को शक्तिशाली मराठा जाति को भाजपा के पाले में लाने और सेना को कमजोर करने की दीर्घकालिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा।

खुद देवेंद्र फडणवीस को अपनी भविष्य की भूमिका को लेकर अंत तक अंधेरे में रखा गया। इसलिए डिप्टी सीएम के पद को स्वीकार करने के लिए उनकी अनिच्छा के बावजूद उन्हें स्वीकार करना पड़ा। महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का बंटवारा नहीं हुआ है। अब देखना यह होगा कि शिंदे गुट को पास कौन सा विभाग जाता है और बीजेपी के पास कौन सा विभाग आता है।

शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 50 विधायकों का समर्थन है जबकि बीजेपी के पास पहले से ही 106 विधायक मौजूद है। निर्दलीयों का समर्थन भी बीजेपी को हासिल है। फ्लोर टेस्ट से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था।