महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी में चल रही खटपट की खबरों के बीच अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वे राजनीतिक तौर पर गठबंधन के बाकी दोनों दलों- कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के खिलाफ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने तुरंत ही अपनी बात को संभालते हुए कहा कि इसका यह मतलब नहीं कि मैं उनके अच्छे कामों को गलत बताउंगा। न तो मैं और न ही बालासाहेब ने कभी इस बारे में सोचा होगा।

बता दें कि मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब MVA में गठबंधन के साथियों के बीच तनाव की खबरें आने लगी हैं। हाल ही में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि राज्य सरकार उनकी आवाजाही पर नजर रख रही है और महाविकास आघाड़ी में सहयोगी दलों शिवसेना तथा राकांपा को लगता है कि उनकी पार्टी के बढ़ते प्रभाव के कारण उनके पैरों तले से जमीन खिसक रही है।

महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय राकांपा के कोटे में आता है। पार्टी ने निगरानी रखे जाने के पटोले के आरोपों पर कहा था कि उनका दावा अधूरी जानकारी पर आधारित है। राकांपा नेता नवाब मलिका ने कहा था कि महत्वपूर्ण नेताओं की आवाजाही, मुलाकातें और राजनीतिक कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए पुलिस का विशेष विभाग होता है। उन्होंने कहा था कि प्रासंगिक जानकारी एकत्र कर एक व्यापक रिपोर्ट गृह विभाग और मुख्यमंत्री को सौंपी जाती है और अगर पटोले इस प्रक्रिया से अनजान हैं, तो उन्हें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे, पृथ्वीराज चव्हाण से सलाह लेनी चाहिए।

महाविकास अघाड़ी पर पवार भी दे चुके हैं बयान: इससे पहले महाविकास अघाड़ी गठबंधन को लेकर राकांपा प्रमुख शरद पवार भी बयान दे चुके हैं। उन्होंने दावा किया था कि गठबंधन के तीनों दल, चाहे वह कांग्रेस हो, शिवसेना हो या राकांपा हो, सभी का एक ही पक्ष है और तीनों ही अपने संगठन का आधार मजबूत करना चाहती हैं। इसे लेकर कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।

पहले भी विधायक कर चुके हैं गठबंधन पर शिकायत: नाना पटोले विवाद पर शिवसेना ने कहा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सबकुछ ठीक है। हालांकि, इससे पहले जब उद्धव ठाकरे पीएम नरेंद्र मोदी से मिले थे, तब कुछ शिवसेना नेताओं के बयानों पर पटोले ने साफ कहा था कि शिवसेना ने अपने दम पर सियासी जंग लड़ी हैं। चुनावों के दौरान गठजोड़ हो सकते हैं, पर लड़ाई अपने दम पर ही लड़ी जाती है। फिर चाहे वह महाराष्ट्र के गौरव से जुड़ा मामला हो या फिर शिवसेना की मौजूदगी का। अगर हम उसके लिए लड़ना पड़ेगा, तो हम लड़ेंगे।

अगर पिछले कुछ महीनों की बात की जाए, तो गठबंधन में टकराव के मामले काफी ज्यादा सामने आए हैं। हाल ही में शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने सीएम उद्धव ठाकरे से पीएम नरेंद्र मोदी के करीब जाने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने राकांपा और कांग्रेस से कुछ सांठगांठ कर रखी है, जिसकी वजह से उनके नेताओं पर कभी कोई जांच नहीं बैठती।