महाराष्ट्र में शिवसेना विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे के बगावती रुख अपना लेने से ढाई साल पुरानी उद्धव सरकार संकट में आ गई है। इसकी वजह से राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का दावा है कि इस पूरी राजनीतिक घटनाक्रम की स्क्रिप्ट सीएम उद्धव ठाकरे के खासमखास संजय राउत ने लिखी है। उनका कहना है कि संजय राउत के भड़काऊ बयानों से ही उनकी पार्टी में यह हालात हुए हैं।
कहा यह भी जा रहा है कि एकनाथ शिंदे जल्द ही अपने 35 बागी विधायकों के साथ एक नई शिवसेना पार्टी का गठन करेंगे। उनकी बगावत और नाराजगी के पीछे सीएम उद्धव ठाकरे और पार्टी के अपनी हिंदुत्ववादी छवि को छोड़कर साफ्ट हिंदुत्व की ओर जाने को वजह बताई जा रही है। इसके चलते वे काफी दिनों से विरोधी रुख अपनाए हुए थे। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
ठाणे में अपनी जीविका चलाने के लिए एक बियर ब्रूअरी में काम करने से लेकर ऑटोरिक्शा चलाने और ठाकरे के बाद वर्तमान शिवसेना में सबसे शक्तिशाली नेता बनने तक, 58 वर्षीय एकनाथ शिंदे मंगलवार को छगन भुजबल और नारायण राणे जैसे नेताओं की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार दिख रहे हैं, जो पहले शिव सेना में विभाजन करने में कामयाब रहे थे।
शिंदे परिवार मूल रूप से सतारा जिले का है। 70 के दशक में जब शिंदे सिर्फ एक बच्चा थे, तब यह परिवार ठाणे आ गया था । 80 के दशक में शिवसेना के साथ अपना जुड़ाव शुरू करने से पहले शिंदे ने अपने कैरियर की शुरुआत एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में की। इसके अलावा वे बीयर ब्रूअरी और मत्स्य पालन जैसी छोटी नौकरियां कीं।
एकनाथ शिंदे ठाणे के कोपरी पचपखाड़ी से चौथी बार विधायक चुने गए हैं और उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। सभी के लिए स्वीकार्य माने जाने वाले शिंदे को शिवसेना का एक मजबूत अनुयायी माना जाता है। 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद, जो शिवसेना ने भाजपा के खिलाफ लड़ा था, ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र में विपक्ष का नेता चुना था। शिवसेना ने बाद में भाजपा से हाथ मिलाया और शिंदे को मंत्री बनाया गया था।