कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान भले ही सरकार कर चुकी हो, लेकिन इस पर विवाद अभी भी जारी है। पक्ष और विपक्ष में लोग लगातार तर्क दे रहे हैं। अब इसी क्रम में महंत परमहंस आचार्य ने किसान नेता राकेश टिकैत को खुली चुनौती दे दी है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को चुनौती देते हुए महंत परमहंस ने सिलसिलेवार तरीके से उनपर कई आरोप भी लगाए। परमहंस ने कहा कि अगर राकेश टिकैत कृषि कानूनों के बारे में बता दें तो वो उन्हें एक करोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि टिकैत को कृषि कानूनों को लेकर कोई जानकारी नहीं है, वो सिर्फ देश तोड़ने का काम कर रहे हैं। इसके लिए टिकैत को जबरदस्त फंडिंग मिल रही है।

आगे महंत ने कहा कि ये तीनों कानून, जिसे पीएम मोदी ने वापस ले लेने की बात कही है, किसानों के लिए काफी लाभदायक है। इस कानून को जनमत संग्रह करवाकर फिर से लाया जाएगा। इस कानून के पक्ष में देश के 90 प्रतिशत किसान पीएम मोदी के साथ खड़े हैं।

महंत परमहंस ने यहां तक कह दिया कि टिकैत चाहें तो पहले इन कृषि कानूनों का अध्ययन करें और फिर इसके बारे में बताएं। इन आरोपों के बाद परमहंस और आगे जाते हुए इस आंदोलन के लिए पाकिस्तान और चीन तक को जिम्मेदार ठहरा गए।

किसान आंदोलन को लेकर शुरूआती दौर में बीजेपी के नेता भी इसे खालिस्तानियों से समर्थन मिलने की बात कह चुके हैं, लेकिन परमहंस ने उससे भी आगे जाते हुए कहा कि टिकैत, चीन और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। यह आंदोलन किसानों को बदनाम करने के लिए विपक्ष के एजेंडे के तहत चलाया जा रहा है। पाकिस्तान और चीन के इशारे में इस आंदोलन को टिकैत चला रहे हैं।

महंत परमहंस आचार्य इन आरोपों से पहले किसान आंदोलन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को धर्मादेश भी जारी कर चुके हैं। उन्होंने इन दोनों सरकारों से इस आंदोलन से सख्ती से निपटने की सलाह दी थी। उससे पहले परमहंस आचार्य भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जलसमाधि लेने की घोषणा पर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं।