मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से हर छोटे से छोटे फैक्टर पर काम किया जा रहा है। इस बार दोनों ही दल मध्य प्रदेश में यादव समुदाय के लोगों पर खास फोकस कर रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि राज्य में भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों का विकास किया जाएगा।
रविवार को इंदौर में यादव समाज प्रमुख कार्य समिति के प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उज्जैन में स्थित जिस सांदीपनी आश्रम में भगवान कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी, हमने उसके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हम धीरे-धीरे राज्य में भगवान कृष्ण से जुड़े अन्य स्थानों का विकास करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों का विकास हमारी ड्यूटी है और यह राजनीति का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में भगवान कृष्ण के पूजा स्थलों का विकास हर समुदाय को प्रेरित करेगा क्योंकि कृष्ण सभी के हैं और सारा संसार उनमें समाया हुआ है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण से प्रेरणा लेकर यादव समाज ने प्रगति की है और देश में अपना एक विशेष स्थान बनाया है। यादव समुदाय की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि समुदाय ने खेती, दुग्ध उत्पादन, गौ-पालन, देश की सुरक्षा और खेल सहितहर क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दिया है। इस दौरान उन्होंने यादव समुदाय से कहा कि उन्हें राज्य में “उचित प्रतिनिधित्व” दिया जाएगा।
हालांकि राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए ऐलान को यादव समाज को रिझाने के लिए बीजेपी का कदम करार दिया। कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि ऐसे ऐलान बीजेपी सिर्फ इसलिए कर रही है क्योंकि राज्य में कांग्रेस यादवों के नेतृत्व में OBC लीडरशिप डवलप करने पर फोक्स कर रही है।
धार्मिक प्रतीकों से दूर न होते हुए कांग्रेस ने हिंदू देवताओं से जुड़े धार्मिक स्थलों को विकसित करने की बात कही है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने मेनिफेस्टो में कांग्रेस पार्टी ने ‘राम वन गमन पथ’ के विकास की बात कही थी। इस रास्ते का इस्तेमाल भगवान राम ने वनवास के दौरान किया था।
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि शिवराज सिंह द्वारा भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों के विकास का प्रस्ताव बीजेपी सरकार की असुरक्षा दर्शाता है क्योंकि कांग्रेस काफी हद तक बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड को न्यूट्रलाइज करने में सफल रही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व सीएम कमलनाथ लगातार खुद को भगवान हनुमान का अनुयायी बताते रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि पूर्व सीएम के इन प्रयास से कांग्रेस को BJP के “हिंदू विरोधी” होने के आरोपों से बचने में मदद मिली है।
क्या कर रही है कांग्रेस
मध्य प्रदेश में हाल में कुछ प्रभावशाली यादव नेता पाला बदलकर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य के वफादार माने जाने वाले बैजनाथ सिंह यादव उन्हीं में से एक हैं। वह 14 जून को 700 वाहनों का काफिला लेकर कांग्रेस में शामिल होने के लिए भोपाल पहुंचे थे। इससे पहले बीजेपी के एक अन्य नेता यादवेंद्र सिंह यादव ने मार्च में कांग्रेस का दामन थामा था।
राज्य की आबादी का 14 फीसदी माना जाने वाला यादव समाज मध्य प्रदेश में काफी प्रभावशाली माना जाता है। राज्य में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी पारंपरिक तौर पर OBC सपोर्ट पर निर्भर रही है। राज्य में शिवराज सिंह चौहान के अलावा पिछले दो दशक में बीजेपी दो ओबीसी सीएम दे चुकी है। उनमें से एक बाबू लाल गौर थे। वह यादव समाज से संबंध रखते थे।
राज्य में यादव समुदाय ज्यादातर बुंदेलखंड में केंद्रित है। इस रीजन की करीब 29 सीटों पर यादव वोटर्स का प्रभाव रहता है। इस समय एमपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव बुंदेलखंड इलाके का दौरा कर रहे हैं। वह मध्य प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सुभाष यादव के बेटे हैं। सुभाष यादव दिग्विजय सिंह की सरकार में डिप्टी सीएम थे।
अपने इस दौरे के दौरान अरुण यादव अपने समुदाय के लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वह स्थानीय नेताओं से मिल रहे हैं और इलाके में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस में यादव लीडरशिप खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अरुण यादव ने कहा कि हमारे पास राज्य में उस समय ओबीसी लीडरशिप थीस जब मेरे पिताजी डिप्टी सीएम थे। उसके बाद बीजेपी लीडरशिप की तरफ से तीन सीएम ओबीसी समुदाय की तरफ से आए, जिनमें उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज चौहान शामिल हैं। यादव समुदाय विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाता है। हम इस समुदाय से कई नेताओं को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस में उनका नेतृत्व तैयार करना बहुत जरूरी है। हमने 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान यह किया और जीत हासिल की। हम फिर से वही फार्मूला दोहराएंगे।
कांग्रेस पार्टी की सीनिर यादव नेताओ को उम्मीद है कि उनके प्रयास अगले विधानसभा चुनाव में रंग लाएंगे। मध्य प्रदेश कांग्रेस के सांससद और ऑल इंडिया यादव महासभा के जनरल सेक्रेटरी दामादोर सिंह यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कुछ नेता ऐसे भी हैं जो कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता चल गया है कि बीजेपी इस चुनाव में हार जाएगी। फिर कुछ ऐसे भी हैं जो बीजेपी लीडरशिप से खुश नहीं हैं। हम इन नेताओं पर काम करना चाहते हैं और पार्टी में उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरी करने की कोशिश करना चाहते हैं।
OBC समुदाय को लुभाने के लिए कांग्रेस 27 फीसदी रिजर्वेशन पर बात कर रही है। कांग्रेस दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार के दौरान इसे लागू किया गया। दामोदर ने कहा कि यादव समुदाय साम्प्रदायिक राजनीति के बहकावे में नहीं आता। वे उन लोगों के साथ जाते हैं जो उन्हें आरक्षण देंगे। यह हमारा आगे का रास्ता है… बुंदेलखंड में OBC आंदोलन जोर पकड़ रहा है, जबरदस्त माहौल है।
इसके अलावा बुंदेलखंड में कांग्रेस बीजेपी के सिंधिया समर्थकों और पार्टी के पुराने कद्दावरों के बीच की टेंशन का भी फायदा उठाना चाहती है। कांग्रेस कोशिश कर रही है कि कुछ पुराने बीजेपी नेताओं को तोड़ लिया जाए। कहा जा रहा है कि बुंलेदखंड में बीजेपी को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यादव नेताओं ने खुलकर अपनी परेशानियों पर बात करना शुरू कर दिया है।
गुना के सांसद केपी यादव कभी सिंधिया के समर्थकों में से एक थे। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया था। वह लगातार शीर्ष नेतृत्व से शिकायत कर रहे हैं कि पार्टी लीडरशिप उन्हें राज्य और केंद्र के सरकारी कार्यक्रमों में इग्नोर कर रही है।
जब यादवों तक पहुंच बनाने की कांग्रेस की कोशिशों के बारे में यादव समाज से सवाल किया गया तो एक बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी में हमेशा संवाद का स्कोप होता है। यह पार्टी कांग्रेस की तरफ एक परिवार द्वारा नहीं चलाई जाती। हम सभी नेताओं से बात कर रहे हैं और उनकी परेशानियां सुन रहे हैं। कांग्रेस ने 27 फीसदी रिजर्वेशन लाने की कोशिश की लेकिन उसे कोर्ट में चैलेंज किया गया और वो उसे लागू नहीं कर पाए। हमने दशकों में ओबीसी लीडरशिप डवलप की है, यह आसानी से नहीं जाएगी।
बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति में विश्वास करती है। हम जाति की राजनीति को खत्म करना चाहते हैं और वे अभी भी यादव समुदाय को वोट बैंक के रूप में देखते हैं। धार्मिक स्थलों को विकसित करने का हमारा प्लान उसी के तहत है, जो केंद्र सरकार पूरे देश में कर रही है। अगर हम अपने धार्मिक स्थलों की रक्षा करेंगे तो हमारा देश सुरक्षित रहेगा। इसमें कोई राजनीति नहीं है।