Madhya Pradesh Congress BJP Political Crisis: मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने से प्रदेश में 15 माह पुरानी कमलनाथ सरकार गहरे संकट में आ गई है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद उनके खेमे के इन विधायकों ने इस्तीफे भेज दिए थे। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति द्वारा इन विधायकों के त्यागपत्र फिलहाल स्वीकार नहीं किए गए हैं।

एनपी प्रजापति ने गुरुवार को विधानसभा के 22 बागी कांग्रेस सदस्यों (विधायकों) को नोटिस जारी किए हैं। उन्हें शुक्रवार तक अपने सामने पेश होने और यह बताने के लिए कहा कि क्या उन्होंने स्वेच्छा से या दबाव में यह काम किया है। ये विधायक कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने यह नोटिस भाजपा द्वारा बजट पेश करने से पहले बहुमत परीक्षण की मांग के बीच आया है। भाजपा विधायक दल के सचेतक नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में कहा, ‘‘कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। इसलिए हम राज्यपाल महोदय और विधानसभा अध्यक्ष से 16 मार्च को विधानसभा सत्र के शुरू होने पर, सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इन 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए हैं। अब यह उन पर है कि वे इस पर निर्णय लें।

विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से कहा कि वे शुक्रवार तक उनसे मिलकर व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा दें और साथ ही इसके पीछे की वजह भी बताएं। ऐसा इसलिए क्योंकि कारण बताना राज्य विधानसभा के नियमों में शामिल है। इस आवश्यकता को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के 15 कर्नाटक विधायकों के मामले में बरकरार रखा है, जिन्होंने राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे की वजह से 2019 में एचडी कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी।

228 सदस्य मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 थी तथा कांग्रेस सरकार को चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन हासिल था। कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र यदि मंजूर हो जाते हैं तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या घटकर 206 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा। कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक बचेंगे, जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है। (एजेंसी इनपुट के साथ)