Madhya Pradesh News: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा धार्मिक कट्टरवाद (Religious Fundamentalism) को बढ़ावा देने का आरोप लगाने पर इंदौर के कॉलेज में 6 प्रोफेसर्स पर एक्शन लिया गया है। ABVP द्वारा कॉलेज के प्राचार्य को ज्ञापन सौंपने के बाद इंदौर में न्यू गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के 6 प्रोफेसरों को एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश ने जांच पेंडिंग होने तक अस्थायी रूप से ड्यूटी से हटा दिया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय (गवर्नमेंट न्यू लॉ कॉलेज) के परिसर में चार मुस्लिम और दो हिंदू शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा किया। एबीवीपी से जुड़े छात्रों के एक समूह ने प्राचार्य डॉ इनामुर रहमान से सवाल किया कि कॉलेज में एक विशेष धर्म के अधिक शिक्षक क्यों हैं।

एबीवीपी ने आरोप लगाया कि प्रोफेसरों में से एक धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा दे रहा था और उसकी तरफ झुकाव वाले स्टूडेंट्स की रक्षा कर रहा था। प्रोफेसर पर सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद नई शिक्षा नीति के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने का भी आरोप लगा था।

ABVP की शिकायत पर जांच: छात्रों द्वारा दिए गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि एक अन्य प्रोफेसर इतिहास से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रोफेसर मुगलों के शासन की प्रशंसा करते हुए हिंदू शासकों को नीचा दिखा रहे हैं। अन्य शिक्षकों के खिलाफ एबीवीपी द्वारा लगाए गए आरोपों में ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देना और छात्रों को नमाज के लिए मस्जिदों में ले जाना शामिल था। ज्ञापन में चार प्रोफेसरों के नाम हैं- अमीक खोखर, डॉ मिर्जा मोजीज बेग, डॉ फिरोज अहमद मीर, प्रोफेसर सुहैल अहमद वानी। ABVP की मौखिक शिकायत के बाद प्रोफेसर मिलिंद कुमार गौतम और डॉ. पूर्णिमा बैस का नाम भी जोड़ा गया है।

रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में जांच के आदेश: कॉलेज के प्रिंसिपल ने गुरुवार को कहा कि ये शिक्षक पांच दिनों तक कक्षाएं नहीं पढ़ाएंगे जबकि आरएसएस से जुड़े छात्र संघ के आरोपों की न्यायिक जांच की जा रही है। प्रिंसिपल रहमान ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद एक सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रिंसिपल ने कहा, “हमने जांच के आदेश दे दिए हैं और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करेंगे। मैं 2019 से प्रिंसिपल हूं और ऐसी कोई शिकायत कभी नहीं सुनी। आरोपी प्रोफेसर 2013-14 से फैकल्टी में हैं और उन्हें कभी भी इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा है।”