मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने गुरुवार को तीन माह से अधिक का वक्त गुजरने के बाद कैबिनेट का दूसरा विस्तार किया था । लेकिन विस्तार के 72 घंटे बाद भी मंत्रियों को उनका विभाग नहीं पता चला है। विभाग वितरण को लेकर ‘किच-किच’ मची हुई है। किसे कौन सा विभाग दिया जाए, इसके लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक में मंथन हो रहा है। शिवराज ने अपने मंत्रिमंडल में कई दिग्गजों को बाहर कर नए चेहरों को मौका दिया है।

मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है, जिनमें 20 कैबिनेट और आठ राज्य मंत्री हैं। इन मंत्रियों को विभागों का वितरण किया जाना है। इससे पहले किए गए विस्तार में जिन पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी उनके पास दो-दो विभाग तक है। लिहाजा जिन मंत्रियों के पास दो विभाग हैं, अब उनका एक-एक विभाग छिन सकता है। एक तरफ जहां विभाग छिनने की आशंका से परेशान मंत्री अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूसरी ओर नए मंत्री मनचाहा विभाग चाह रहे हैं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग दिलाना चाहते हैं, जिनका सीधा वास्ता आम आदमी से है। सिंधिया के 11 समर्थक मंत्री बनाए गए हैं और सिंधिया की ओर से ग्रामीण विकास, पंचायत, महिला बाल विकास, सिंचाई, गृह, परिवहन, जनसंपर्क, खाद्य आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभागों को मांगा गया है।

विभागों का वितरण करने से पहले शिवराज दिल्ली गए हैं। चौहान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ दिल्ली में उनके निवास पर मुलाकात की है। मुलाक़ात के बाद चौहान ने एएनआई से कहा कि भोपाल पहुंचने के बाद पोर्टफोलियो आवंटित किए जाएंगे। वहीं कांग्रेस ने 72 घंटे तक विभागों का वितरण ना होने के चलते भाजपा पर निशाना साधा है।

कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा “मध्य प्रदेश में रिमोट कंट्रोल से संचालित कमजोर सरकार है। 14 का रिमोट ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में, तो बाकी का अलग-अलग गुटों के नेताओं के पास है। अलग-अलग नेता अपने समर्थकों को मलाईदार विभाग के लिए दबाव बनाए हुए हैं इसलिए विभागों का बटवारा नहीं हो पा रहा है। यह सरकार प्रदेश के लिए बोझ है जो जल्द ही गिर जाएगी।”