उत्तर प्रदेश में 21 साल के जिस मुस्लिम शख्स की गिरफ्तारी नए धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-Conversion Law) के तहत हुई है, उसके परिजन का दावा है कि महिला के रिश्तेदारों ने पुलिस के दबाव में केस दर्ज कराया है। यह मामला 12 घंटों के भीतर UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020 के तहत दर्ज कर लिया गया था, जो कि 28 नवंबर से प्रभाव में आया है।

बरेली ग्राम प्रधान ध्रुव राज समेत कई लोगों ने इस मामले पर हैरत जताई। कहा कि यह मसला तो दोनों परिवारों के बीच सुलझ गया था, जिसमें महिला हिंदू परिवार की थी और उसने अप्रैल में गैर-धर्म के शख्स (ओवैस अहमद) से शादी की थी।

ओवैस के पिता (70) मोहम्मद रफीक ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, “पुलिस ने उसे पीटा, क्योंकि वे उसे खोज रहे थे। वह हमारे 10 बच्चों में सबसे छोटा है और बुधवार को उसे अरेस्ट किया गया था।”

उन्होंने बताया कि ‘लव जिहाद’ के आरोप न केवल दुख पहुंचाने वाले थे बल्कि डराने वाले भी थे। बकौल पीड़ित के पिता, “महिला के परिवार वाले अच्छे लोग हैं। हमारा उनसे कोई विवाद नहीं है। मुझे मालूम है कि उन्होंने मेरे बेटे के खिलाफ एफआईआर नहीं कराई है। लड़की के पिता मुझसे मिले थे और उन्होंने कहा था कि वह इस केस में मुझे पूरा समर्थन देंगे। पर पुलिस ने तारीफें और प्रमोशन बंटोरने के लिए एफआईआर दर्ज कर दी। उन्होंने मुझे भी मारा और शायद लड़की के परिवार को भी धमका रहे हों।”

अहमद के घर से करीब 100 मीटर दूर ही महिला का परिवार रहता है। उन सब ने खुद को घर में कैद कर रखा है। साथ ही किसी से भी संपर्क करने से वे लोग बच रहे हैं।

हालांकि, पुलिस द्वारा दबाव के आरोप पर बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडे ने बताया- अगर हमें पहले शिकायत मिलती, तब हम पहले ही एफआईआर दर्ज कर लेते…ऐसा भी तो हो सकता है कि शिकायत 27 नवंबर को आई हो और उसी समय केस दर्ज हो गया हो, जब कानून पास हुआ हो।

पुलिस के मुताबिक, दोनों अक्टूबर 2019 में साथ भाग गए थे और उनका रिश्ता बरकरार था। चूंकि, अहमद लगातार लड़की पर और उसके परिवार पर दबाव बना रहा था, इसलिए पीड़ित परिवार ने मामला दर्ज कराया।

वैसे, पुलिस यह भी मान चुकी है कि जब लड़की को ट्रेस कर वापस गांव लाया गया था, तब उसने अहमद के खिलाफ लगे किडनैपिंग (खुद की) के आरोपों को खारिज कर दिया था। माना था कि वह उससे शादी करना चाहती है। लड़की तब 17 साल की थी। मामला सुलझने के बाद आखिरी रिपोर्ट दाखिल हुई, जिसमें बताया गया कि अहमद के खिलाफ लगे आरोप सही नहीं पाए गए।

ग्राम प्रधान ने मामले पर अधिक बोलने से इन्कार किया, पर इतना कहा कि पुलिस का दवाब होने की बात को नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि मामला सुलझ चुका था और दोनों परिवारों के बीच भी कोई विवाद नहीं था।

लड़की और अहमद के बीच संबंध तब से बताए जाते हैं, जब से वे दोनों स्कूल में थे। अहमद 12वीं कक्षा तक पढ़ा है। बता दें कि अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल वाले इस गांव में करीब 10 फीसदी परिवार मुस्लिम हैं।