कर्नाटक में इंदिरा कैंटीन का नाम बदलने की भाजपा नेता की मांग पर राजनीति तेज हो गई और विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने सरकार को चेतावनी दी है कि “अगर इंदिरा कैंटीन का नाम बदला जाता है, तो हम सावरकर ब्रिज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ब्रिज के साइनबोर्ड को काला कर देंगे। इंदिरा कैंटीन का नाम बदलना सही नहीं है क्योंकि उन्होंने हमेशा गरीबों के लिए काम किया।”

कांग्रेस की सरकार में गरीबों को सस्ते दर पर नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू की गई इंदिरा कैंटीन के नाम को भाजपा नेता ने बदलने की मांग की है। पार्टी नेता सीटी रवि ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से राज्य में इंदिरा कैंटीन के नाम को बदलकर अन्नपूर्णेश्वरी कैंटीन करने की मांग की थी। उनका कहना है कि इंदिरा जी के नाम से 1975 में देश में लगाए गए आपात काल के काले दिन याद आते हैं।

हालांकि उनकी मांग पर कांग्रेस ने तुरंत आपत्ति जताई और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह प्रतिशोध की राजनीति है। उन्होंने पूछा कि भाजपा के नेतृत्व के नाम पर बहुत सारे कार्यक्रम और योजनाए हैं। क्या हमने उन नामों को बदलने की मांग की ? कहा कि दीन दयाल उपाध्याय फ्लाईओवर, अटल बिहारी वाजपेयी कार्यक्रम, अहमदाबाद में पीएम मोदी के नाम पर स्टेडियम, दिल्ली में अरुण जेटली के नाम पर स्टेडियम है। इन नामों को बदलने की मांग करनी चाहिए?

कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने सरकार को चेतावनी दी कि इंदिरा कैंटीन का नाम बदला गया, तो सावरकर ब्रिज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ब्रिज के साइनबोर्ड को काला कर देंगे। उन्होंने कहा कि इंदिरा कैंटीन का नाम बदलना सही नहीं है, क्योंकि उन्होंने हमेशा गरीबों के लिए काम किया।

हालांकि कैंटीन का नाम इंदिरा गांधी पर ही रहे या बदला जाए, इस पर राजनीतिक नेता अपनी राजनीति करते रहेंगे, लेकिन कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के दौरान शुरू हुई इस योजना की लोकप्रियता काफी अधिक है। राज्यभर में चल रही इस कैंटीन में गरीबों को सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराया जाता है। योजना के तहत गरीबों को एक वक्त का नाश्ता और दो वक्त का खाना दिया जाता है। 5 रुपये में सुबह का नाश्ता और 10-10 रुपये में दोपहर व रात का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इससे वहां पर बड़ी संख्या में लोग रोजाना नाश्ता और भोजन करने पहुंचते हैं।