उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या आरती दवे लालचंदानी को हटा दिया है। कुछ ही दिनों पहले उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें कथित तौर पर अस्पताल में इलाज कराने आए तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते सुना जा सकता है। इस वीडियो में डॉक्टर लालचंदानी को राज्य की भाजपा सरकार पर हमला करते भी सुना जा सकता है। एक जगह वे कहती हैं कि राज्य सरकार सिर्फ उनकी खुशामदी में जुटी है और अपने संसाधन उन पर खराब कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, कानपुर के डीएम ब्रह्म देव तिवारी ने इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट प्रमुख सचिव (मेडिकल एजुकेशन) रजनीश दुबे को सौंपी थी, इसके बाद ही डॉक्टर लालचंदानी पर यह कार्रवाई हुई है। सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर लालचंदानी को झांसी ट्रांसफर किया गया है और अब वे यहां महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या की जिम्मेदारी निभाएंगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर आरबी कमल उनकी जगह नियुक्त हो सकते हैं। हालांकि, अभी इस पर आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है।
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क्या था डॉक्टर लालचंदानी के वीडियो में?
करीब 5 मिनट के वायरल वीडियो में डॉ. आरती लालचंदानी को अनाधिकारिक तौर पर बातचीत में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि तब्लीगी जमात के लोग आतंकी हैं। उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, लेकिन उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल भेजा जा रहा है। जिन्हें जंगल में छोड़ना चाहिए वे यहां हैं। इससे अस्पताल के संसाधन और मैनपावर सभी का नुकसान हो रहा है। डॉ. लालचंदानी एक जगह कहती हैं कि सरकार की यूपी सरकार खुशामदी के लिए इन्हें अस्पताल में भर्ती करवा रही है, जबकि इनके साथ सख्ती बरती जानी चाहिए।
वीडियो वायरल होने के बाद डॉ आरती ने अपने बचाव में कहा था कि यह झूठा वीडियो है, जिसे बदला गया है, ताकि पैसे निकलवाए जा सकें और प्राशासनिक फायदे लिए जा सकें। उन्होंने दावा किया था कि पूरे वीडियो में कहीं भी उन्होंने तब्लीगी या मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने वाले पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही थी। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई एफआईआर नहीं कराई है।
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