हेमंत सोरेन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से मुलाकात के बाद भी चौंकाने वाला सियासी फैसला लिया। उन्होंने राज्यसभा प्रत्याशी के रूप में महुआ माजी के नाम का ऐलान कर दिया। आज उनका नामांकन भी दाखिल करा दिया गया। माजी के नाम का ऐलान कई वजहों से बेहद चौकाने वाला माना जा रहा है।
सोरेन ने महुआ माजी के नाम की घोषणा झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के साझा प्रत्याशी के बजाय झामुमो प्रत्याशी के तौर पर की। झारखंड में तीन दल मिलकर सरकार चला रहे हैं। साझा प्रत्याशी की उम्मीद की जा रही थी। सोनिया से दिल्ली में मुलकात के बाद माना जा रहा था कि कोई आम सहमति बन गई है। लेकिन सोरेन के फैसले से लगा कि वो कांग्रेस आलाकमान को गंभीरता से नहीं लेते। कांग्रेस उनसे इस सीट को अपने लिए मांग रही थी। उसे लगता था कि सूबे में सेरेन तो दिल्ली में कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है।
झारखंड में राज्यसभा की दो सीट हैं। सूबे में जेएमएम राजद और कांग्रेस की कुल मिलाकर 47 सीट हैं। 81 सदस्यीय असेंबली में संख्या बल के हिसाब से राज्यसभा की एक सीट बीजेपी और 1 गठबंधन सरकार के खाते में जानी है। कांग्रेस इस सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रही थी।
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय, सूबा अध्यक्ष राजेश ठाकुर और सरकार में कांग्रेस कोटे के सभी चार मंत्रियों ने बीते दिनों सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। उनसे कहा गया था कि राज्यसभा के पिछले चुनाव में गठबंधन की ओर से झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन साझा प्रत्याशी थे, इसलिए इस बार रोटेशन के आधार पर कांग्रेस कोटे से साझा प्रत्याशी की दावेदारी बनती है।
सोरेन के ऐलान के बाद कांग्रेस में नाराजगी देखी जा रही है। इससे सत्तारूढ़ गठबंधन में खटास बढ़ सकती है। सरकार को कोई खतरा नहीं दिखता लेकिन सोरेन पर कांग्रेस अब बीजेपी से ज्यादा नजर रखेगी। हालांकि कांग्रेस ने इस मसले पर बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए इसे झामुमो का निजी फैसला बताया है।
लंबे समय से झारखंड कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि सूबे में सोरेन की पार्टी तेजी से उनकी जमीन पर कब्जा करती जा रही है। गांधी परिवार को भेजी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है। हाईकमान को बताया गया है कि कोई ठोस फैसला न लिया तो झटका लग सकता है। सोरेन चालाकी से कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं।
उधर, जेएमएम के नेता राज्यसभा चुनाव में सोरेन के फैसले को सही बता रहे हैं। उनका कहना है कि झारखंड में सबसे मजबूत जेएमएम है। कांग्रेस की स्थिति दोयम दर्जे की हो चुकी है। उका कहना है कि महुआ नेता के तौर पर भी मजबूत हैं और साहित्यकार के तौर पर उनकी एक अलग ही पहचान है। वो बंगाली समुदाय के बीच खासी पैठ रखती हैं।
