Jharkhand Govt: झारखंड में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया है। प्रस्ताव पारित होने के एक दिन बाद विपक्ष के नेता और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि राज्य की आबादी में दलितों और आदिवासियों सहित “सनातनियों” का अनुपात 1951 से लगातार कम हुआ है, जबकि मुस्लिम समुदाय का अनुपात बढ़ा है।
भाजपा नेता मरांडी ने दावा किया कि 1951 की जनगणना में राज्य की जनसंख्या में सनातनियों की संख्या 87.79 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर लगभग 81 प्रतिशत रह गई। एसआईआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और इंडिया ब्लॉक की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या मुसलमानों को मतदान का अधिकार देकर राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास कर रही है।
मरांडी ने दावा किया कि 1951 में आदिवासी आबादी लगभग 35 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 26 प्रतिशत रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी, जो लगभग 8 प्रतिशत थी, वो बढ़कर लगभग 14 प्रतिशत हो गई है। यह समुदाय द्वारा आदिवासी महिलाओं से शादी करके उनके नाम पर ज़मीन और पद हड़पने की साज़िश को दर्शाता है।
हालांकि, झामुमो ने इन आरोपों का खंडन किया। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य तनुज खत्री ने कहा कि आदिवासियों की संख्या में गिरावट का कारण पलायन, बेरोजगारी और खनन तथा उद्योगों के कारण विस्थापन माना जाता है, जो कि मुख्यतः भाजपा शासन के दौरान लागू की गई नीतियां हैं।
इस बीच, मरांडी ने कहा कि अगर जनसंख्या वृद्धि का यही रुझान जारी रहा, तो घुसपैठिए विधायक और सांसद जैसे पदों पर आसीन हो जाएंगे। मरांडी ने दावा किया कि मुस्लिम आबादी में वृद्धि कोई स्वाभाविक या जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक कृत्रिम प्रक्रिया है। उन्होंने झामुमो और उसके सहयोगियों पर झारखंड में घुसपैठियों को जानबूझकर बसाने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वे चाहते हैं कि वे यहां बसें, उन्हें ज़मीन, राशन कार्ड और अन्य सुविधाएं दें। कल विधानसभा सत्र में जब उन्होंने प्रस्ताव पारित किया, तो हमने उनकी स्पष्ट मंशा देखी।
एसआईआर का समर्थन करते हुए मरांडी ने कहा कि 2019 और 2024 के बीच देश में मतदाताओं की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि झारखंड में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने पूछा कि मतदाताओं में यह वृद्धि केवल झामुमो और उसके सहयोगियों के कार्यकाल में ही क्यों देखी गई, 2014 से 2019 तक भाजपा के कार्यकाल में क्यों नहीं?
मरांडी ने कहा कि सिमडेगा ज़िले में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2019 में लगभग 9,308 से बढ़कर 2024 में लगभग 16,605 हो गई है। उन्होंने कहा कि कई विधानसभा क्षेत्रों में इसी तरह के जनसांख्यिकीय परिवर्तन दर्ज किए गए हैं। यह वोट बैंक बनाने की एक सोची-समझी रणनीति है। अब हम चुनाव आयोग से हर मतदाता का सत्यापन करने का आग्रह करेंगे।
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झामुमो के खत्री ने कहा कि जब भाजपा सत्ता में थी, तो उसने छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम को कमज़ोर करने, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम के प्रावधानों को कमज़ोर करने और आदिवासियों की ज़मीन हड़पने की कोशिश की थी। अब वही पार्टी आदिवासी हितों की रक्षा के नाम पर नाटक कर रही है।
उन्होंने कहा कि रोजगार, महंगाई और किसानों के संघर्ष जैसे वास्तविक मुद्दों को उठाने के बजाय भाजपा विभाजनकारी राजनीति के जरिए गलत सूचना फैलाने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय, वे उंगलियाँ उठा रहे हैं और सांप्रदायिक दुष्प्रचार फैला रहे हैं। जब भी भाजपा हारती है, तो वह झूठ और सांप्रदायिक राजनीति पर उतर आती है। झारखंड की जनता इन हथकंडों को समझने में सक्षम है। वे रोज़गार, शिक्षा, न्याय और विकास चाहते हैं, न कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए शुभम तिग्गा की रिपोर्ट)