बिहार में शानदार जीत दर्ज करने के बाद एनडीए सरकार के गठन की तैयारी तेज हो गई है। सवाल यह है कि नई सरकार में बीजेपी और जेडीयू के कितने मंत्री होंगे और एनडीए के बाकी सहयोगी दलों के कितने विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने बराबर-बराबर सीटों (101-101) पर चुनाव लड़ा था।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, बिहार की नई सरकार में बीजेपी और जेडीयू के बराबर मंत्री होंगे। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दो मंत्री पद और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) को एक-एक मंत्री पद दिया जा सकता है।

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एक सूत्र के मुताबिक, इस फार्मूले पर विचार चल रहा है और विभागों के बंटवारे में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

जेडीयू के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक सोमवार को पटना में होगी। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं और इसके बाद नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा।

बताया जा रहा है कि भाजपा के विधायक दल के बैठक मंगलवार को हो सकती है। एनडीए में 89 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, उसके बाद जेडीयू 85, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 19, हम (सेकुलर) पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के पास चार विधायक हैं।

2020 में बीजेपी के पास 74 सीटें थी जबकि जेडीयू सिर्फ 43 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। पिछली भाजपा सरकार में भाजपा के 22 मंत्री थे जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू के सिर्फ 12। 17वीं बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है इसलिए बुधवार या फिर गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।

सरकार गठन को लेकर की बीजेपी ने बैठक

बीजेपी सूत्रों के अनुसार, एनडीए की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने सरकार गठन पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में स्थित पार्टी मुख्यालय में बैठक की।

बीजेपी में इस बात को लेकर आम सहमति है कि नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने रहेंगे हालांकि अभी उपमुख्यमंत्रियों को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।

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क्या सम्राट चौधरी फिर से उपमुख्यमंत्री बनेंगे?

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह निवर्तमान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के खिलाफ जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के द्वारा भ्रष्टाचार और चुनावी हलफनामे में गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए, उसके बाद सवाल यह है कि क्या वह इस बार भी उपमुख्यमंत्री होंगे?

बीजेपी में कुछ लोगों का कहना है कि एनडीए को मिला मजबूत जनादेश और तारापुर से सम्राट चौधरी की जीत का सीधा मतलब है कि मतदाताओं ने इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने जीत के बाद अपने पहले भाषण में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा का नाम लिया था।

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