ऐन विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के मौजूदा एक चौथाई विधायकों का टिकट कटने की खबर से पार्टी के विधायक सकपकाए हुए हैं। पचास से अधिक विधायकों के इस जद में आने की सूचना ने उन्हें विचलित कर रखा है। इनमें से कुछ विधायकों ने सोमवार इटावा में मौजूद मुलायम सिंह यादव से संपर्क करने की कोशिश भी की लेकिन उनकी कोई सुनवाई होती नहीं दिख रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह नेताजी की वह चेतावनी है जिसमें उन्होंने मंत्रियों और विधायकों से दो-टूक कहा था कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र पर अधिक ध्यान दें। लेकिन उस वक्त पार्टी अध्यक्ष की बात को इन विधायकों ने अनसुना कर दिया था।
सपा केपचास से अधिक विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की प्रत्येक विधानसभा सीट पर कराए गए गोपनीय सर्वे में सपा ने अपने नेताओं और विधायकों के प्रति जनता का मिजाज भांपने की कोशिश की थी। सर्वे से पता चला कि पचास से अधिक विधायकों से क्षेत्र के मतदाता बेहद नाराज है।
रिपोर्ट आने के बाद से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव समेत पार्टी के आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने एक राय से ऐसे विधायकों को टिकट न देने पर अंतिम मुहर लगा दी है। सपा आलाकमान का मानना है कि ऐसे विधायकों की छवि पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। लिहाजा उनको टिकट न देना ही पार्टी हित में होगा।
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से सिर्फ पांच सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद से ही सपा में मंथन शुरू हो गया था। लोकसभा चुनाव में मिली हार की एक वजह उन भितरघातियों को भी ठहराया गया था, जिनकी संख्या उस वक्त करीब दो सौ बताई गई थी। कई असफल टिकटार्थियों ने 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान अपने साथियों के खिलाफ प्रचार किया था और उन्हें हराने के लिए कार्यकर्ताओं को लामबंद करने की पुरजोर कोशिश की थी।
उस वक्त पार्टी के लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। उसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के सामने एक पर्ची दिखाते हुए कहा था कि उनके पास ऐसे भितरघातियों के नाम मौजूद हैं। प्रो. यादव ने तब ऐसे कार्यकर्ताओं की संख्या सैकड़ों में बताई थी। विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद ऐसे अधिकांश नेताओं को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। करीब दो दर्जन नेता और पदाधिकारी ही समाजवादी पार्टी से निकाले गए। बात आई-गई हो गई और पार्टी पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनने की खुमारी में डूब गई।
सपा दोबारा सरकार बनाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती इसलिए उसने पचास से अधिक मौजूदा विधायकों को टिकट न देने का मन बनाया है। पार्टी के समक्ष बड़ी चुनौती इन विधायकों के भितरघात से निपटने की है, जो टिकट कटने के बाद पार्टी के घोषित उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
सपा में एक चौथाई विधायकों के टिकट कटने की खबर पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर पाठक कहते हैं, ‘प्रदेश सरकार की नाकामियों को विधायकों के सर मढ़ने की तैयारी है। पार्टी ने हाल के महीनों में ऐसे नेताओं को दोबारा सपा में स्थान दिया, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन नेताओं की पार्टी में वापसी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उत्तर प्रदेश में सपा की पकड़ ढीली हुई है, जिसे मजबूत करने की हड़बड़ाहट में ऐसे फैसले लेने को सपा आलाकमान विवश हो रहा है।