Jamalpur Vidhan Sabha Seat Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं। जमालपुर सीट पर जेडीयू उम्मीदवार नचिकेता ने चुनाव जीत लिया है। 29 राउंड की मतगणना के बाद उन्हें कुल 96683 वोट मिले हैं। उन्होंने नरेंद्र तांती 36228 वोटों के अंतर से हरा दिया है।
इस बार जमालपुर सीट सबसे चर्चित सीटों में शामिल हो गई थी। महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और टिकट कटने के फैसले ने पूरा गणित बदल दिया था। कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह को दरकिनार कर यह सीट इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) को सौंप दी थी।
जमालपुर विधानसभा चुनाव परिणाम 2025
| पार्टी | उम्मीदवार | वोट |
| जेडीयू | नचिकेता | 96683 |
| इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (महागठबंधन) | नरेंद्र तांती | 60455 |
| निर्दलीय | शिवदीप | 15655 |
विधानसभा चुनाव 2020 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | अजय कुमार सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) | 57196 |
| 2 | शैलेश कुमार | जनता दल (यूनाइटेड) | 52764 |
| 3 | दुर्गेश कुमार सिंह | लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) | 14643 |
मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है जेडीयू के बागी और पूर्व मंत्री शैलेश कुमार ने, जिन्होंने इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने का ऐलान किया है। अपने मजबूत नेटवर्क और इलाके में गहरी पकड़ के कारण वे मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुके हैं। अब तस्वीर साफ है — महागठबंधन बनाम एनडीए बनाम निर्दलीय बागी। यह सीट अब सिर्फ दो गठबंधनों की नहीं रही, बल्कि हर जातीय और सामाजिक समीकरण के लिए खुला मैदान बन चुकी है। जेडीयू ने नचिकेता मंडल को उम्मीदवार बनाया है।
विधानसभा चुनाव 2015 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | शैलेश कुमार | जनता दल (यूनाइटेड) | 67273 |
| 2 | हिमांशु कुंवर | लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) | 51797 |
| 3 | संजय कुमार सिंह | शिवसेना | 8228 |
महागठबंधन के नए उम्मीदवार नरेंद्र तांती पहली बार चुनावी अखाड़े में हैं और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। वे कहते हैं कि जनता अब जाति से ऊपर उठकर विकास और ईमानदारी को मुद्दा बनाएगी। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सवर्ण असंतोष, बागी उम्मीदवार और नया चेहरा — यह तिकड़ी जमालपुर का खेल पूरी तरह बदल सकती है। यह चुनाव अब महज एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि जनभावनाओं और राजनीतिक निष्ठा की परीक्षा बन गया है। यहां मतदाता सिर्फ बटन नहीं दबाएंगे, बल्कि यह तय करेंगे कि बिहार की राजनीति में पुराना जनाधार ताकतवर है या नई सामाजिक इंजीनियरिंग।
