व्यवस्था की खामियों का शिकार बनकर एक शख्स जिंदगी के बीस साल जेल में गुजार दिए। जब न्यायालय ने उसे निर्दोष पाया, तब तक उसका सब कुछ लुट चुका था। उसके माता-पिता नहीं रहे, दो बड़े भाइयों की भी मौत हो चुकी है। उसके घर पहुंचने पर उससे मिलने वाला कोई बचा नहीं है। घर की आर्थिक स्थिति भी बिल्कुल खराब है। जब वह जेल गया था, तब भी बेहद गरीबी के हालात थे। अब जब कोई बचा ही नहीं तो और भी कुछ नहीं है। हालात के मारे इस शख्स ने प्रदेश सरकार से सहायता की मांग की है।

बाहर निकलने के बाद पीड़ित ने पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार को लेकर तमाम बातें कहीं, फिर उनकी तारीफ करने लगा। यूपी के ललितपुर जिले के महरौली थाना क्षेत्र के सिलावन गांव का निवासी विष्णु तिवारी पिता और दो भाइयों के साथ रहता था। उस वक्त वह वहीं पर कोई छोटी नौकरी कर रहा था। इसी दौरान सितंबर 2000 में पास के गांव की एक महिला ने उसके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई। मामले में विष्णु के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के साथ ही दुष्कर्म, धमकी देने आदि का केस लग गया।

न्यायालय ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई तो उसे 2003 में आगरा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। दो साल बाद उसने हाईकोर्ट में अपील करने की कोशिश की, लेकिन किसी वजह से कर नहीं सका।

2015 में उसके पिता की मौत हो गई, लेकिन पेरोल नहीं मिलने से वह अंतिम संस्कार में नहीं जा सका। उसके बाद भाइयों की भी मौत हो गई।

14 साल सजा पूरी कर लेने के बाद उसने दया याचिका के लिए अपील करने की बात कही। जेल अफसरों ने स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के जरिए पिछले साल हाई कोर्ट में अपील दाखिल कराई। 28 जनवरी को जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकेर और गौतम चौधरी की पीठ ने उसे निर्दोष करार दिया। अब वह रिहा होकर बाहर तो आ गया है, लेकिन जाना कहां है उसे नहीं पता है।