राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्य अपनी ‘बेनामी’ संपत्तियां जल्द ही गंवा सकते हैं। आयकर विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। इन संपत्तियों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित फार्म हाउस सहित अन्य पॉश इलाके की संपत्तियां शामिल है। इसके साथ ही बिहार की राजधानी पटना की भी कुछ संपत्तियां शामिल है। हाल ही में आयकर विभाग ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत 128 करोड़ रुपये कीमत की 17 संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त करने की पुष्टि की है। कथित तौर पर यूपीए के शासनकाल में लालू यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान शेल कंपनियों के माध्यम से इन संपत्तियों की खरीद हुई थी। इसके बाद इन संपत्तियों को लालू यादव के परिवार के सदस्यों जिनमें उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटी मीसा, चंदा, रागिनी और दामाद शैलेष के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया था।
टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इन संपत्तियों की अस्थायी तौर पर जब्ती के बाद आयकर विभाग इन्हें अपने कब्जे में ले सकता है और मामले का ट्रायल पूरा होने तक यहां रहने वालों को किराए पर रहने की अनुमति दे सकता है। एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी के अनुसार, “इन संपत्तियों में पटना स्थित एक निर्माणाधीन मॉल, दिल्ली के न्यू फ्रेंडस कॉलोनी स्थित एक आवासीय फ्लैट और दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक ढ़ाई एकड़ का एक फार्म हाउस है। इसकी मार्केट वैल्यू करीब 127.75 करोड़ है।” इन संपत्तियों को पिछले साल आयकर विभाग द्वारा सितंबर माह में जब्त किया गया था। साथ ही बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत चार मामले दर्ज किए गए थे।
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आरोप है कि लालू प्रसाद के नजदीकी सहयोगियों द्वारा चार शेल कंपनियों के माध्यम से इन संपत्तियों की खरीददारी हुई थी। अधिकारी ने बताया कि, “शुरूआत में इन संपत्तियों की खरीद के लिए शेल कंपनियों के माध्यम से पैसे दिए गए और बाद में इन कंपनियों के शेयर काफी कम कीमत पर लालू प्रसाद के परिजनों के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया।” बेनामी एक्ट में दोषी पाए जाने पर आरोपी को सात साल की जेल हो सकती है। इसके साथ ही संपत्ति के मार्केट वैल्यू का 25 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जा सकता है। एक दोषी नेता पर जेल के साथ छह वर्षों तक चुनाव लड़ने से भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है।