दिल्ली के पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने मंगलवार को जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत का विरोध किया। इससे पहले उन्होंने जमानत का विरोध नहीं करने की बात कही थी। इस यू-टर्न पर बस्सी ने कहा कि परिस्थितियों में बदलाव के कारण ऐसा किया।

बस्सी अब काफी संभलकर अपनी बात रख रहे हैं। सोमवार को उन्होंने परिसर में मौजूद चारों छात्रों को पुलिस के सामने आकर अपनी बेगुनाही साबित करने को कही, जबकि मंगलवार को अदालत में जमानत के विरोध पर कहा कि कन्हैया ने उस वक्त अपनी ओर से पछतावे का परिचय दिया था जब उसने अदालत में पेश होने से पहले एक अपील जारी की थी हालांकि बाद में उसने ऐसी कोई अपील जारी करने से इनकार किया था। हमें लगता है कि अगर वह जमानत पर बाहर आता है तो जांच पर असर डाल सकता है और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए हमने जमानत का विरोध किया है।

जेएनयू परिसर में पुलिस के प्रवेश और छात्रों की गिरफ्तारी के सवाल पर बस्सी ने कहा कि इसका फैसला संबंधित जिले के उपायुक्त को लेना है। अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें दिशा-निर्देश दिया जा सकता है। पुलिस जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी। उमर के फोन कॉल पर बस्सी ने कहा कि उन्हें फिलहाल इसके बारे में जानकारी नहीं है। जांच अधिकारी कानून के दायरे में जांच कर रहे हैं।

जेएनयू विवाद पर मंगलवार को दी गई अपनी ताजा रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय की अंदरूनी जांच समिति की ओर से जुटाए गए सबूतों को शामिल किया है जिसमें कहा गया है कि जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित आठ छात्र असंवैधानिक नारे लगाने में कथित तौर पर शामिल थे, लेकिन जांचकर्ताओं द्वारा अभी तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों और जेएनयू के कर्मचारियों सहित एक भी प्रत्यक्षदर्शी का जिक्र नहीं किया है।

सूत्रों ने कहा कि आयुक्त के कार्यालय में रविवार को भेजी गई रिपोर्ट में पुलिस ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की इजाजत के बिना वे जेएनयू परिसर में दाखिल नहीं हुए। रिपोर्ट में विशेष रूप से 29 नारों का जिक्र किया गया जिन्हें कार्यक्रम के दौरान उठाते देखा गया। सूची में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा शामिल नहीं है जिसका जिक्र प्राथमिकी में है। बताया जा रहा है कि कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के तुरंत बाद तैयार पुलिस की स्थिति रिपोर्ट में भी उस नारे का जिक्र है।

जेएनयू की अंदरूनी जांच समिति के नतीजों का हवाला देते हुए पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आठ छात्रों के खिलाफ सबूत में प्रस्तावित घटना को सांस्कृतिक संध्या के तौर पर दुष्प्रचारित करना, इजाजत रद्द करने के बावजूद जबरन कार्यक्रम आयोजित करना, परिसर में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब करना और असंवैधानिक नारे लगाए जाने को शामिल किया है। रिपोर्ट में पुलिस ने यह भी कहा कि कार्यक्रम में मौजूद स्थानीय पुलिस ने एक समूह को लगातार देशविरोधी नारे और असंवैधानिक नारे लगाते हुए देखा जबकि दूसरा समूह उनका विरोध कर रहा था। हालांकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वास्तव में ऐसी नारेबाजी में कौन लोग शामिल थे।