पुरातत्व महकमा की खुदाई में निकली ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय की लगातार हो रही अनदेखी से इतवार को हेरिटेज वाक पर जुटे लोग बेहद दुखी हुए। सभी ने वहां के हालात देखकर सरकारी स्तर पर विक्रमशिला के उत्थान और गौरव लौटाने को लेकर बहाए जा रहे घड़ियाली आंसुओं पर हैरत जताई। यह बताना जरूरी है कि यहां आनेवाले सैलानियों के वास्ते सरकारी स्तर पर एक अदद वाहन (परिवहन) तक उपलब्ध नहीं है। पीने का स्वच्छ पानी और सफाई का घोर अभाव है। फिर भी सरकारी स्तर पर हरेक साल विक्रमशिला महोत्सव आयोजित करने का ढोंग किया जाता है। अबकी भी 17 मार्च को महोत्सव मनाए जाने की बात है। और राज्य के पर्यटक मंत्री इसका उद्घाटन करने आने वाले है। लाखों रुपए कागजों में खर्च होते है। फिर भी बुनियादी जरूरत पूरी नहीं हो पाती।
दिलचस्प बात कि बीते साल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी , राज्यपाल , केंद्रीय और राज्य के मंत्री , सांसद व विधायक आए। इस साल बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी विक्रमशिला विहार कर गए है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आए थे। मगर बुनियादी जरूरत पर किसी ने गौर नहीं किया। यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव जमीन के पेंच में फंसा है।
विक्रमशिला बौद्ध महाविहार के पुरातात्विक धरोहर के संरक्षण तथा इसके प्रति जनजागरूकता हेतु भागलपुर जिला प्रशासन एवं चेतना ह्यूमेन सर्विंग ने साझे तौर पर एक हेरिटेज वॉक का आयोजन किया । जिसको उप विकास आयुक्त आनन्द शर्मा तथा एस एस पी मनोज कुमार ने हरी झंडी दिखाकर तिलकामांझी चौक स्थित क्लीवलैंड मेमोरियल से विदा किया। हेरिटेज वॉक में चेतना ह्यूमेन सर्विंग की अध्यक्ष चेतना त्रिपाठी सिंह, दिल्ली से आयीं पुराविद् व हेरिटेज मैनेजमेंट एक्सपर्ट रश्मि चटर्जी, राजीव कांत मिश्र, पूर्व उप जनसंपर्क निदेशक शिवशंकर सिंह पारिजात, भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी इतिहास विभाग के डा. केके मंडल समेत बड़ी तादाद में प्रबुद्ध नागरिकों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। यह आयोजन अपने आप में यहां पहली दफा हुआ।
हेरिटेज वॉक के दौरान विक्रमशिला महाविहार के मुख्य स्तूप, प्रदक्षिणा पथ, तिब्बती आवासन, पुस्तकालय सहित विक्रमशिला म्यूजियम के चलन्त धरोहरों का परिदर्शन किया गया। इस अवसर पर आयोजित अंतर-विमर्श सत्र में पुराविद् रश्मि चटर्जी ने कहा कि विक्रमशिला बिहार और भारत का ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान है जिसका समुचित विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विक्रमशिला स्थल पर पहली बार आयोजित इस वॉक से न सिर्फ इसके इतिहास व पुरातात्विक पक्षों पर प्रकाश पड़ेगा, अपितु आम लोग भी इससे जुड़ेंगे। विक्रमशिला के ज्ञात पक्षों से अब ज्यादा जरूरी अब इसके अन्य पक्षों को उजागर करने की जरूरी है। उन्होंने यहां आनेवाले पर्यटकों के लिए परिवहन, पेयजल, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का न देख गहरी चिंता की जताई।