हाथरस में 2 जुलाई को हुई भगदड़ की जांच करने वाले विशेष जांच दल (SIT) ने “कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस-प्रशासन को दोषी” पाने के बावजूद घटना के पीछे किसी “बड़ी साजिश” से इनकार नहीं किया। हालांकि, रिपोर्ट में जिस व्यक्ति की अनुपस्थिति सबसे अधिक स्पष्ट है, वह स्वयंभू संत सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि हैं, जिनके सत्संग में भगदड़ मची थी।
बाबा के आश्रम में नोटिस भेजा गया, लेकिन जवाब नहीं आया
रिपोर्ट में केवल सूरजपाल के मैनपुरी आश्रम में पूछताछ के लिए नोटिस भेजने की बात कही गई है। उन्होंने इसका कोई जवाब भी नहीं दिया। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी में सियासी दलों में जातिगत निष्ठाओं में बदलाव के साफ संकेत मिले हैं। यहां बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। सियासी दल सूरजपाल या “भोले बाबा” पर उंगली उठाने से कतरा रहे हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर अपने दलित भक्तों के बीच वे जाने जाते हैं। बीएसपी उनके खिलाफ कार्रवाई की सबसे मुखर मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने भी पूछा है कि सूरजपाल से अभी तक पूछताछ क्यों नहीं की गई है, लेकिन बीजेपी और सपा ने अधिक सतर्क रुख अपनाया है।
भगदड़ के अगले दिन हाथरस की अपनी यात्रा के दौरान, जिसमें 121 लोग मारे गए थे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “साजिश के पहलू” पर जोर दिया और कहा कि इसकी जांच की जरूरत है। उन्होंने सूरजपाल का नाम नहीं लिया, मीडिया को दिए अपने बयानों में उन्हें दो बार “सज्जन” कहा। पहले संदर्भ में सीएम ने रेखांकित किया कि भगदड़ “सज्जन द्वारा अपना प्रवचन पूरा करने के तुरंत बाद” हुई और जब वे जाने के लिए मंच से उतरे, तो अनुयायियों की भीड़ ने उस मिट्टी को इकट्ठा करने की कोशिश की जिस पर वे चले थे।
यह पूछे जाने पर कि पुलिस मामले में स्वयंभू धर्मगुरु का नाम क्यों नहीं लिया गया, आदित्यनाथ ने संवाददाताओं से कहा, “हर कोई जानता है कि उस सज्जन की किसके साथ तस्वीर है और किसके साथ उसके राजनीतिक संबंध हैं।” सीएम का कथित संदर्भ एक वीडियो का था, जो भगदड़ के बाद वायरल हुआ था, जिसमें सूरजपाल के एक कार्यक्रम में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव थे।
इसके बाद, आदित्यनाथ ने अखिलेश का नाम लिए बिना सपा प्रमुख की चुनावी रैलियों में “अनियंत्रित भीड़” के बारे में बात की। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, प्रयागराज के फूलपुर में एक रैली, जिसे अखिलेश और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संबोधित करना था, भगदड़ जैसी स्थिति के कारण रद्द कर दी गई थी।
एसआईटी रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर, भाजपा के नवनिर्वाचित हाथरस सांसद अनूप वाल्मीकि ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। एसआईटी ने बाबा को जिम्मेदार नहीं ठहराया क्योंकि उसे पता चला होगा कि घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। फिर भी, एक न्यायिक जांच चल रही है।”