हरिद्वार के जिला पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भाजपा और कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया है। पंचायत चुनाव में भाजपा और कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी से पिछड़ गई है और बसपा जिला पंचायत चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है। इस चुनाव में निर्दलियों का भी दबदबा बढ़ा है। जिला पंचायत के चुनाव में न तो मुख्यमंत्री हरीश रावत की चली और न ही हरिद्वार से भाजपा के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की। बसपा के पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद पंचायत चुनाव में अपना दबदबा कायम करने में सफल रहे।

हरिद्वार के जिला पंचायत चुनाव सन 2017 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जा रहे हैं। पंचायत चुनाव में बसपा हरिद्वार जिले में अपना खोया जनाधार फिर से पाने में कामयाब रही है और इस चुनाव में बसपा का दलित और मुसलिम समीकरण फिर से कामयाब होता दिखा है जो भाजपा और कांग्रेस के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव में एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। बसपा ने पार्टी से निकाले गए मोहम्मद शहजाद को फिर से पार्टी में वापस लेने का जो फैसला लिया था, वह सही साबित हुआ है। मोहम्मद शहजाद की भाभी अंजुम बेगम हरिद्वार जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। राज्य की कांग्रेस सरकार ने अंजुम बेगम के अधिकार सीज कर दिए थे। उनके पति और मोहम्मद शहजाद के भाई बरेली में अपनी पत्नी की जिला पंचायत की सरकारी गाड़ी में एक करोड़ रुपए के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों पकड़े गए थे। अंजुम बेगम और मोहम्मद शहजाद ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर बदले की भावना से यह कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाया था।

दरअसल अंजुम बेगम के जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के अधिकार सीज करने का मामला कांग्रेस को उल्टा पड़ा। कांग्रेस के खिलाफ मोहम्मद शहजाद और अंजुम बेगम ने मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस के खिलाफ मुसलमानों और दलितों में यह जमकर प्रचार किया कि कांग्रेस मुसलमान और दलित विरोधी हैं, जिसका असर दोनों वर्गों पर पड़ा और मुसलमानों का रुझान इस पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बजाय बसपा की तरफ बढ़ा, जिसका फायदा बसपा को जबरदस्त तरीके से मिला। मुसलमान और दलित मतदाताओं का यह रुझान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए भारी पड़ेगा। भाजपा का तो मानो जिला पंचायत चुनाव में सफाया ही हो गया। भाजपा को जिला पंचायत चुनाव में 47 सीटों में से 3 सीटें ही हाथ लगी। जबकि पिछले पंचायत चुनाव में भाजपा ने सात सीटें हासिल की थी।

इस बार पंचायत चुनाव में कांग्रेस के खाते में केवल 12 सीटें आईं, जबकि बहुजन समाज पार्टी 16 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 15 सीटें हासिल की हैं। इस तरह हरिद्वार के जिला पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी की चाबी निर्दलियों के हाथ में रहेगी। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हथियाने के लिए बसपा और कांगे्रस में रस्सा कसी चल रही है। और अभी से जिला पंचायत चुनाव में जीत कर आए निर्दलीय सदस्यों की बोली लगनी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निर्दलीय सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए उनकी अभी से घेरेबंदी चालू कर दी है।