Hamza Khan , Pallavi Singhal , Man Aman Singh Chhina 

रविवार सुबह कॉल आया था, मगर पल्लवी शर्मा का कहना है कि उन्हें पहले से ही बहुत बुरा होने की आशंका थी क्योंकि शनिवार रात से ही वह अपने पति कर्नल आशुतोष शर्मा, 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर, से संपर्क करने में सक्षम नहीं थीं। अपनी 12 वर्षीय बेटी तमन्ना के साथ जयपुर स्थित घर में बैठी पल्लवी ने बताया, ‘मैं उनसे संपर्क नहीं कर सकी। मैंने यूनिट को फोन किया तो पता चला कि वो कहीं फंस गए हैं। जब इतना समय किसी के फंस जाने के साथ बीत जाता है तो आपको पता है कि कुछ गड़बड़ है।’

सेना ने परिवार को फोन कर बताया कि कर्नल शर्मा (44) उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में चंजुमुल्लाह इलाके में एक अधिकारी मेजल अनुज सूद (30) और अन्य तीन सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए। बता दें कि मेजर सूद के परिवार को उनके निधन की खबर उस दिन मिली जब छह महीने बाद वो छुट्टी पर घर लौटने वाले थे। उन्होंने मार्च में ही जम्मू-कश्मीर में अपने दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया था। मगर लॉकडाउन के चलते उन्हें वहीं रुकने के लिए कहा गया था।

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हरियाणा के पंचकुला में शहीद के घर उनके पिता ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) सीके सूद, जो ईएमई कोर में थे और कश्मीर में  भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं, ने बताया कि वो एक महीने की छुट्टी पर घर आने वाले थे और पंजाब के गुरदासपुर में ड्यूटी ज्वाइन करने वाले थे। उन्होंने बताया कि अनुज से आखिरी बार शनिवार को बात हुई, बेटे ने बताया कि वो एक ऑपरेशन के लिए जा रहा था। वो कहां है ये जानने के लिए मैंने थोड़ी देरी बाद टैक्स मैसेज किया। जवाब में उसने कहा कि वो दो आतंकवादियों का पीछा कर रहे हैं।

रिटायर्ड ऑफिसर आगे कहते हैं कि ढाई साल पहले ही अनुज का विवाह हुआ था और इस बीच उसने मुश्किल से ही दो-तीन महीने अपनी पत्नी के साथ गुजारे होंगे। अनुज का विवाह सितंबर 2017 में हुआ था और हाल ही अकृति ने गुरदासपुर पोस्टिंग में अनुज के साथ रहने के लिए पुणे की एक निजी कंपनी में नौकरी छोड़ दी थी। अभी वो धर्मशाला में नौकरी कर रही है। आर्मी उन्हें पंचकुला ले जाने के लिए वाहन भेज रही है।

वहीं कर्नल शर्मा के परिवार, उनके बड़े भाई पीयूष (47) और मां ने आखिरी बार उनसे एक मई को बात की थी। पत्नी पल्लवी से उनकी आखिरी मुलाकात 28 फरवरी को हुई थी, जब उन्हें जम्मू के उधमपुर में एक समारोह में वीरता के लिए सेना के पद से नवाजा गया था। पल्लवी कहती हैं वो कश्मीर में आर्मी प्रोटोकॉल के मुताबिक शर्म से मिली थी। उन्होंने कहा कि वहां चीजें ठीक नहीं हैं।

पीयूष कहते हैं कि शर्मा हमेशा से चाहते थे कि वो सेना में शामिल हों। हमारे परिवार में सेना की संस्कृति हैं। मैं भी आर्मी ज्वाइन करना चाहता था मगर परिवारिक वजह से ऐसा नहीं कर सका। मैंने आशुतोष के जरिए अपनी महत्वकांक्षा को जिया। अपने भाई के बारे में पीयूष कहते हैं, ‘वो मेरा इकलौता दोस्त था।’

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बता दें कि शर्मा परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का रहना वाला है। जहां अभी भी उनकी कुछ जमीन है। हालांक कुछ साल पहले परिवार जयपुर जाकर बस गया। उनके चचेरे भाई सुनील पाठक कहते हैं कि पिता शंभु दत्त पाठक के निधन के बाद उन्होंने दूसरी जगह शिफ्ट होने का निर्णय लिया।

शहीद शर्मा के बारे में बात करते हुए पाठक कहते हैं कि जब भी हम मिलते थे वह सेना के बारे में एक किस्सा सुनाता था और हमें आर्मी में शामिल होने के लिए प्रेरित करता था। शहीद की छह वर्षीय बेटी तमन्ना कहती हैं कि वो भी पिता की तरह सेना में शामिल होंगी। तमन्ना अभी छठी क्लास में पढ़ती हैं।

दूसरी तरफ मेजर अनुज सेना में परिवार की तीसरी पीढ़ी थे। पिता सूद कहते हैं कि वो नहीं चाहते थे कि उनका बेटा आर्मी ज्वाइन करे। वो कहते हैं, ‘वो एक प्रतिभाशाली बच्चा था। एक आलराउंडर जो खेल में अच्छा, पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में काफी तेज था। मैं चाहता था कि वो कॉर्पोरेट वर्ल्ड में शामिल हो, जहां पूरी जिंदगी है। मगर उसका कुछ और ही सोचना था। जहां तक मुझे याद है ये वही है जो वो करना चाहता था।

उल्लेखनीय है कि शहीद शर्मा का पार्थिव शरीर सोमवार तक उनके घर पहुंचने की उम्मीद है। नम आंखों से उनके भाई पीयूष कहते हैं, ‘उन्होंने वादा किया था कि जल्द घर आएंगे। वो वास्तव में आ रहे हैं, मगर तिरंगे में लिपटे हुए। दूसरी तरफ ब्रिगेडियर सूद कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उन्होंने कहा, ‘कुछ करके गया है वो। देश का बेटा था, देश का बेटा था देश के नाम हो गया।’