Coronavirus in India: घातक कोरोना वायरस दुनियाभर में लगातार फैलता जा रहा है। वर्ल्डमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 19.25 लाख लोग इस बीमारी चपेट में आ चुके हैं। 1.19 लाख लोगों की इसके संक्रमण से मौत हो चुकी है। 4.45 लाख लोग इलाज के बाद ठीक भी हुए हैं। ये वायरस भारत में भी लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है। देश में 10,453 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं जबकि 358 लोगों की मौत हो चुके हैं।
इस बीच कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है। देश में ये वायरस ज्यादा ना फैले, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा है। ये लॉकडाउन 14 अप्रैल यानी आज खत्म हो रहा है। मगर इसे आगे बढ़ाए जाने की पूरी उम्मीद है। हालांकि कोरोना वायरस और देशव्यापी लॉकडाउन के चलते देशभर में लाखों-करोड़ों की तादाद में मजदूर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले तबके में से एक हैं।
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रोजगार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य गए प्रवासी मजदूरों पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा एक मामला गुजरात के औद्योगिक केंद्र सूरत का है, जहां ऐसे बहुत से मजूदर हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है। चैनल द्वारा दिखाए वीडियो में ऐसी ही एक महिला कहती हैं, ‘किसी से कुछ मांग भी नहीं सकते हैं। ऐसे में हम कहां जाएं।’ यूपी के जौनपुर निवासी अमरावति सूरत में परिवार संग एक छोटे से मकान में किराए पर रहती हैं।
कोरोना और लॉकडाउन के बीच इस परिवार को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं है। अमरावति कहती है कि दवा भी खत्म हो गई है और कहीं से भी मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। राशन मिलने के सवाल पर अमरावि दुबे कहती हैं, ‘अभी तक कुछ नहीं मिला। सरकार की तरफ से एक रुपिया तक नहीं मिला है।’
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ऐसे एक अन्य प्रवासी मजदूर राम दयाल कुमार कहते हैं, ‘मैं अपने घर जाना चाहता हैं, अभी लॉकडाउन लागू है। हालांकि खाने की कोई दिक्कत नहीं है। मैं अकेला रहता हूं।’ वहीं मुकेश कुमार बताते हैं, ‘घर से आए हुए 10-12 दिन हो गए। गांव जाने के लिए पैसे भी नहीं हैं।’
चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक सूरत के एक अन्य इलाके में भी प्रवासी मजदूरों के हालात खराब हैं। यहां एक वक्त के खाने के लिए प्रवासी मजदूर को कड़ी धूप में लंबी कतार में लगना पड़ता है। मगर फिर भी इन लोगों को पेटभर खाना नसीब नहीं हो पाता। ये बात खाना पहुंचाने वाले भी मानते हैं। समाजसेवी राजेंद्र गौतम कहते बताते हैं, ‘लोगों के लिए भोजन हम एक ही टाइम लेकर आते हैं। ये लोग सुबह से ही इंतजार करने लगते हैं। यहां हजारों की तादाद में लोग हैं। इस क्षेत्र में खाने की बहुत ज्यादा जरुरत है।’
