गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस गुजरात में इस साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी भी चेहरे को पेश नहीं करेगी। वहां एक ‘संयुक्त नेतृत्व’ लंबे समय से सत्तारूढ़ भाजपा को टक्कर देगा। दलित नेता जिग्नेश मेवानी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन वह पार्टी के साथ निकटता से काम कर रहे हैं।

जिग्नेश मेवानी ने कहा, “गुजरात में अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो पार्टी को सरकार का नेतृत्व करने के लिए जन आंदोलन से उभरने वाले चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। केरल की थ्रीक्काकारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार के प्रचार के लिए कोच्चि पहुंचे मेवानी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में स्पष्ट किया कि वह गुजरात में सीएम पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।

उनसे पत्रकार ने पूछा कि क्या कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करेगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “नहीं, हम संयुक्त नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। यह लोगों का आंदोलन है, जिससे चेहरे निकलते हैं। लिहाजा, कांग्रेस पार्टी या फिर किसी अन्य राजनीतिक दल को उन चेहरों की जरूरत होती है, जो जन आंदोलन में उभरकर सामने आते हैं।”

असम पुलिस ने हाल ही में जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया था। उन्होंने कहा, “उन्हें (बीजेपी) यह गलतफहमी थी कि वे कुछ भी कर सकते हैं। उन्हें लोगों की सोच की परवाह नहीं है, उन्हें संविधान की परवाह नहीं है, उन्हें कानून के शासन की परवाह नहीं है। जब से मैं मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ बोल रहा हूं, वे मुझे सबक सिखाना चाहते हैं। वे मुझे चुप कराना चाहते हैं। यह बदले की राजनीति है।”

जिग्नेश मेवानी ने दावा किया कि पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस से इस्तीफा देने से पार्टी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। हार्दिक पटेल के पार्टी छोड़ने के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ज्यादा नहीं। अस्थायी झटका और मीडिया का थोड़ा-सा ध्यान। लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।”

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से उन्होंने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा, “जब मुझे गिरफ्तार किया गया था तो लोगों ने हर जगह प्रदर्शन किया था। अब कांग्रेस पार्टी मेरे साथ है, राहुल गांधी मेरे साथ हैं। मैं उनके (भाजपा) लिए एक बड़ा वैचारिक खतरा साबित हो सकता हूं। मेरी विश्वसनीयता का स्तर काफी ऊंचा है, लोगों को मुझ पर भरोसा है। कोरोना के दौरान उन्हें मुख्यमंत्री ही नहीं, पूरे मंत्रिमंडल को बदलना पड़ा। जनता में आक्रोश है।”