Gujarat Election And BJP Success: गुजरात विधानसभा के लिए कपराडा (Kaprada) की जनसभा के एक महीने बाद जब चुनाव नतीजे आए तो वहां सभी समीकरण ध्वस्त करते हुए भाजपा ने बड़ी जीत हासिल कर ली। यहां तक कि मुसलिम बहुल इलाकों (Muslim Dominated Areas) में भाजपा को एकतरफा फायदा हुआ है। दरअसल, काफी अरसे से वहां भाजपा (BJP) ने हर पहलू पर काम करना शुरू कर दिया था। बड़ी सफाई से शासन विरोधी गुस्से को कम किया गया और नतीजा सामने है।

इस बार BJP ने 1985 की सोलंकी सरकार का रिकॉर्ड तोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुजरात (Gujarat) में अभियान की बागडोर अपने हाथों में ले रखी थी। अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में मोदी के नेतृत्व में था, जो तब वहां मुख्यमंत्री (Chief Minister) थे। तब पार्टी को 127 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा (BJP) ने 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस की सरकार का कीर्तिमान ध्वस्त किया है। तब कांग्रेस ने 149 सीटें जीतकर सरकार का गठन किया था।

लंबे समय से भाजपा ने इस राज्य की सत्ता पर कब्जा जमा रखा है। वर्ष 2017 में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर तो दी थी, लेकिन सत्ता से दूर रह गई। इस बार वह मैदान में ठीक से लड़ते हुए नहीं दिखी। नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी को मौका मिला, कांग्रेस के मतों में सेंध लगाने का। उदाहरण के लिए, कांग्रेस के पारंपरिक सौराष्ट्र के इलाकों में भाजपा ने पैठ बना ली।

आप ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी कई सीटों पर सेंधमारी की कोशिश की। गुजरात में करीब नौ से 10 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। 30 से अधिक विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 15 फीसद से ज्यादा है। इनमें से 20 में ये संख्या 20 फीसद से भी ज्यादा है। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी पिछले 27 साल से सत्ता में है। लगातार सातवीं बार सरकार बनाने जा रही है। अपने पारंपरिक मतों के अलावा पार्टी ने क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण पर भी ध्यान दिया। पारंपरिक वोटों के अलावा विकास का नारा था ही। चुनाव के पहले के नौ महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कई दौरे किए और दो लाख करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं की सौगात गुजरात को दी।

साथ ही, किसी भी तरह की शासन विरोधी नाराजगी को काबू करने के लिए मुख्यमंत्री को बदल दिया गया, फिर 38 विधायकों की जगह नए चेहरों को टिकट दिया गया। पार्टी ने पिछले साल जब राज्य में पूरी ही सरकार को बदलने का फैसला किया था, तब मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेंद्र पटेल के चयन ने सबकों को चौंका दिया था। पार्टी ने विजय रूपाणी के स्थान पर भूपेंद्र पटेल का चयन किया था। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भूपेंद्र पटेल ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई अन्य को पछाड़ दिया था।

सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री बनने से पहले भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद से बाहर कम ही लोग जानते थे। यहां तक कि उनसे पार्टी के अंदर भी ज्यादा लोग परिचित नहीं थे। उन्होंने गुजरात में अपने आप को एक नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए कड़े फैसले किए। भाजपा पहले ही एलान कर चुकी थी कि पार्टी को बहुमत मिलने पर भूपेंद्र पटेल ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे।

फहरा परचम

मुसलिम बहुल सीटों में जमालपुर खड़िया (61 फीसद आबादी) में कांग्रेस जीती। दाणिलिमड़ा (48)कांग्रेस के पास रही। दरियापुर (46) भाजपा ने छीनी। वागरा (44), भरूच (38), वेजलपुर (35), भुज (35), जंबुसर (31), बापूनगर (28) और लिंबायत (26) में भाजपा जीती। भाजपा ने किसी भी मुसलिम को उम्मीदवार नहीं बनाया था। कांग्रेस ने मौजूदा चुनाव में छह मुसलिम प्रत्याशी उतारे थे। 2017 में इन 10 सबसे ज्यादा मुसलिम आबादी वाली सीटों में से पांच सीटें भाजपा और पांच सीटें कांग्रेस को मिलीं थीं।

सौराष्ट्र में हाथ पस्त

गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में 11 जिले हैं। इनमें देवभूमि, द्वारका, जामनगर, मोरबी, राजकोट, पोरबंदर, जूनागढ़, गीर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाड, सुरेंद्रनगर, कच्छ शामिल हैं। इन जिलों में 54 विधानसभा सीटें हैं। इस इलाके को काठियावाड़ के नाम से भी जाना जाता है। यह अरब सागर के किनारे पर स्थित है। यहां सोमनाथ ज्योर्तिलिंग, द्वारिकापुरी, महात्मा गांधी का जन्म स्थान पोरबंदर आदि दर्शनीय स्थल हैं।

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साल 2015 में हुए पाटीदार आंदोलन का असर साल 2017 के चुनावों में देखने को मिला और इसकी वजह से भाजपा को यहां नुकसान झेलना पड़ा। सौराष्ट्र में इस बार भाजपा को बड़ी सफलता मिली है। यहां की 54 में से 40 सीटें भाजपा ने जीत ली हैं। राजकोट की सभी आठ, भावनगर में छह, कच्छ में पांच, सुरेंद्रनगर, गीर सोमनाथ और जामनगर में चार-चार, मोरबी, जूनागढ़ और अमरेली जिलों में तीन-तीन और बोटाड में एक पर भाजपा को सफलता मिली है। कांग्रेस ने इन इलाकों में 2017 में 30 सीटें जीती थीं। आम आदमी पार्टी ने भावनगर के गड़ियाधर, जूनागढ़ में विसवादार, बोताड, जामनगर की जमजोधपुर और सुरेंद्रनगर के चोटिला में कांग्रेस की हार सुनिश्चित कर दी। इस क्षेत्र में कांग्रेस के जो बड़े नेता धराशायी हुए, वे हैं- परेश धनानी (अमरेली), पुंज वंश (गीर सोमनाथ), विरजी थुम्मार (लाथी), ललित वसोया (धोराजी), इंद्रनील राज्यागुरु (राजकोट पूर्व), ललित कागाथरा (तनकारा) और मोहम्मद जावेद पीरजादा (वांकानेर)।

पाटीदार पर दारोमदार

गुजरात में पाटीदार जाति का वर्चस्व है और अच्छी खासी संख्या में उसके मतदाता हैं और उनका राज्य की राजनीति पर प्रभाव है। उनका प्रभाव शिक्षा, रियलटी और सहकारिता क्षेत्रों पर है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण भाजपा 2017 में 99 सीटों पर सिमट गई थी। पार्टी ने 1995 के बाद सबसे कम सीटें जीती थी। पार्टी के लिए यह जरूरी था कि वह इस वर्ग का भरोसा फिर से जीते। पाटीदार के उपसमूह ‘केडवा’ से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र पटेल को तरक्की देकर और फिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पार्टी ने ‘केडवा’ पाटीदार समुदाय को रिझाने की योजना बनाई थी।