Gujarat Election: गुजरात में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 25 साल से यहां बीजेपी की सरकार है। इस बीच, पाटीदार समाज के रुख को लेकर चर्चाएं तेज हैं। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) ने साफ कर दिया है कि वह गुजरात विधानसभा हिस्सा लेने वाली है। हालांकि, इस बात पर संशय बना हुआ है कि किसके साथ मैदान में उतरेगी है, फिलहाल उसके पास बीजेपी और आप ही विकल्प हैं।
वहीं, गुजरात चुनाव को लेकर पाटीदार नेता बंटते नजर आ रहे हैं। जहां, हार्दिक पटेल के पूर्व सहयोगी दिनेश बंभानिया ने 23 पाटीदार नेताओं के विधानसभा चुनाव लड़ने का दावा किया है तो, वहीं, PAAS के संयोजक अल्पेश कठेरिया और सह-संयोजक धार्मिक मालवीय इस बात से किनारा करते नजर आए। उनका कहना है कि अभी तक इस तरह की कोई योजना नहीं है और बंभानिया PAAS की कोर कमेटी टीम में भी नहीं है, पहले थे, लेकिन हार्दिक पटेल के जाने से पहले ही उन्होंने संगठन छोड़ दिया था।
पाटीदार पहले बीजेपी के प्रबल समर्थक थे, लेकिन हार्दिक पटेल के नेतृत्व में 2015 में हुए कोटा आंदोलन के दौरान दूरियां बढ़ गईं। इसमें 14 पाटीदार युवक मारे गए और बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने PAAS नेताओं पर देशद्रोह सहित कई मामले दर्ज किए थे। इसके बाद, 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदारों ने कांग्रेस का समर्थन किया। इससे बीजेपी की सीटों को झटका लगा था। हालांकि, सूरत में सत्तारूढ़ दल कुछ हद तक अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रहा।
शहर की 12 विधानसभा सीटों में से छह पर भाजपा के पाटीदार नेताओं का कब्जा है। कनानी और जलावडिया के अलावा, अन्य कांति बलार (सूरत उत्तर), वीनू मोराडिया (कतरगाम), विवेक पटेल (उधना), और प्रवीण घोघरी (करंज) हैं।
अब सवाल है कि क्या पीएएएस फिर से 2017 को दोहराएगी। हालांकि, इस सप्ताह की शुरुआत में निकाली गई पीएएएस की “तिरंगा यात्रा” में दो बीजेपी नेता शामिल हुए, जिनमें से एक पूर्व मंत्री हैं।
वहीं, दिल्ली और पंजाब में धमाकेदार जीत दर्ज करने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर गुजरात पर है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल यहां ताबडतोड़ रैलियां करने में लगे हैं। 2021 के निकाय चुनावों में पाटीदारों के प्रभुत्व वाली 27 सीटें जीतने के बाद आप के हौसले और बुलंद नजर आ रहे हैं। शायद यही वजह है कि आप के एक नेता का दावा है कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए पाटीदारों के लिए उनकी पार्टी ही एकमात्र विकल्प है।