Allahabad High Court: कानपुर में अपने स्कूल के पास शराब की दुकान को लेकर एक पांच साल के छात्र ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्र ने अपने पिता के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा कि शराब की दुकान की वजह से उसके साथी छात्रों और स्थानिय निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि शराबी आए दिन हुड़दंग करते हैं।
बच्चे के वकील ने तर्क दिया कि स्कूल की स्थापना के बाद शराब की दुकान का लाइसेंस नवीनीकर पूरी तरह से गलत था। वहीं हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि स्कूल के बगल के शराब के ठेके का नवीनीकरण हर साल कैसे होता रहा।
याचिकाकर्ता अथर्व आज़ाद नगर के सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल में किंडरगार्टन का छात्र है। स्कूल, जो किंडरगार्टन से कक्षा 9 तक कक्षाएं चलाता है। उसमें लगभग 475 छात्र हैं।
अथर्व ने अपने वकील पिता प्रसून दीक्षित के माध्यम से याचिका में आबकारी विभाग के मुख्य सचिव, लखनऊ के आबकारी आयुक्त, डीएम (लाइसेंसिंग प्राधिकारी) कानपुर नगर, आबकारी अधिकारी कानपुर और शराब की दुकान संचालक ज्ञानेंद्र कुमार को नामित किया है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि दुकान असामाजिक व्यक्तियों के मिलने का अड्डा बन चुकी। इसमें कहा गया है कि हर कोई शराबियों को अपने स्कूल के आसपास घूमते और गंदी भाषा में बात करते हुए देखता है। याचिकाकर्ता छात्र से जब यह सहन ने किया गया तो उसने यह बात अपने पिता को बताई।
हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई के दौरान इस मामले को लेकर एक्साइज डिपार्टमेंट से जवाब मांगा। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि जब स्कूल पहले से ही संचालित था तो विभाग ने लाइसेंस का नवीनीकरण कैसे कर दिया।
याचिकाकर्ता के पिता प्रसून दीक्षित ने पहले इस मुद्दे को लेकर आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी। तब आबकारी विभाग ने जवाब दिया था कि दुकान स्कूल परिसर से करीब 20 से 30 मीटर की दूरी पर है। जवाब में यह भी उल्लेख किया गया था कि दुकान पिछले 30 वर्षों से चल रही है, जबकि स्कूल की स्थापना 2019 में हुई थी।
कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ‘किसी भी पूजा स्थल, स्कूल, अस्पताल, फैक्ट्री या बाजार या आवासीय कॉलोनी के प्रवेश द्वार से 100 मीटर के दायरे में किसी भी दुकान को चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’ मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।