विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को चीनी मांझे से हुई मौतों के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की गूंज के साथ शुरू हुआ। इस मुद्दे पर लाए गएध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर चीनी मांझे के ‘माफिया’ के साथ साठगांठ का आरोप लगाया। चीनी मांझे के आयात पर प्रतिबंध लगाने की अपील की करते हुए सिसोदिया ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आखिर कौन सी मजबूरी है कि वह मौत का सामान आयात करवा रहे हैं? उधर नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने चीनी मांझे के मामले में कोताही बरती है और अब इस पर राजनीतिक बयानबाजी कर रही है।

चीनी मांझे के मुद्दे पर मालवीय नगर से आप विधायक सोमनाथ भारती और नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता दोनों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की पेशकश की थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भारती के प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति दी क्योंकि भारती ने पहले पेशकश की थी। चर्चा का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘सदन के माध्यम से केंद्र से अपील है कि चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि आयात राज्य का विषय नहीं है, चीनी मांझे के खिलाफ कार्रवाई के कई पहलू हैं, लेकिन सबसे बड़ा पहलू यह है कि क्या दिल्ली में मांझे पर प्रतिबंध से समस्या का समाधान हो जाएगा। मांझा माफिया से मिलकर केंद्र सरकार मौत का सामान आयात कराना जारी रखेगी क्या?’ उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि कौन सी मजबूरी है कि वो आयात करवा रहे हैं।’ केंद्र को इस मामले में घसीटे जाने के नेता प्रतिपक्ष के आरोप पर सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली की जनता के लिए जरूरी हुआ तो प्रधानमंत्री क्या यमराज से भी सवाल करेंगे।’

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘वह कब तक चीन के राष्ट्रपति के साथ झूला झूलते हुए’ चीनी मांझे के आयात को अनुमति देते रहेंगे।’ गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2014 के भारत दौरे में साबरमती नदी के सामने एक पारंपरिक झूले में मोदी के साथ बैठे थे। सत्र शुरू होते ही विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 15 अगस्त को मांझे से हुई मौत के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में चीनी मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध का आदेश देने में उसने विलंब किया। बहरहाल सिसोदिया ने स्वीकार किया कि राजधानी में चीनी मांझे की बिक्री, संग्रहण और निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के लिए मसौदा अधिसूचना जारी करने में विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी दावा किया कि मई 2015 में पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संभावित प्रतिबंध को लेकर सरकार को फाइल भेजी थी, लेकिन उसके बाद फाइल कहां गुम हो गई पता नहीं चला। गुप्ता ने दावा किया कि दिल्ली सरकार तकनीकी चीजों में उलझा कर मामले पर राजनीति कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी मांझे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बजाए ऐसा रास्ता चुना गया है कि दो साल तक प्रतिबंध लग ही नहीं पाएगा क्योंकि मसौदा अधिसूचना पर 60 दिनों के अंदर सुझाव और आपत्तियां मंगवाने के बाद 543 दिन और लगेंगे।

इससे पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए सोमनाथ भारती और कुछ अन्य विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष पर आरोप लगाया कि वह केंद्र में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से मांझे के आयात पर प्रतिबंध का दबाव क्यों नहीं बनाते, क्योंकि केवल दिल्ली में प्रतिबंध से कुछ नहीं होगा, लोग आसपास के शहरों से आसानी से चीनी मांझा खरीद सकेंगे और दिल्ली लाकर इस्तेमाल करेंगे।

‘राष्ट्रपति शासन का माहौल बना रहा केंद्र’

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने का आधार तैयार करने का आरोप लगाया है। सिसोदिया ने कहा कि आप सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही केंद्र का प्रयास रहा है कि वह महानगर का प्रशासन खुद चलाए। उपमुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि अगर लोगों के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो आप सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन हाई कोर्ट के 4 अगस्त के फैसले से पैदा हालात और चुने गए प्रतिनिधियों के अधिकारों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बड़ा अभियान शुरू करने का इशारा किया। उपराज्यपाल पर परोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि ‘निर्वाचित’ लोगों को ‘चयनित’ लोगों से ऊपर होना चाहिए क्योंकि वे (चयनित लोग) जन प्रतिनिधि नहीं हैं। सिसोदिया ने कहा, ‘राजनीति में हम बच्चे हो सकते हैं, लेकिन अपरिपक्व नहीं हैं। अगर वे (केंद्र) दिल्ली के लोगों को दिक्कत देंगे तो हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे। चुनावों के दौरान भाजपा ने दिल्ली के पूर्ण राज्य के दर्जे का समर्थन किया था लेकिन अब वे भूल गए हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘जैसा उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में किया गया, वैसी ही कोशिश दिल्ली में भी की जा रही है, हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद केंद्र इस तरह की कोशिश कर रहा है।’ उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर इनका (केंद्र) बस चले तो यह 14 फरवरी की तारीख कैलेंडर से हटा दें क्योंकि उस दिन आप सरकार आई और उसने काम करना शुरू कर दिया।’

सिसोदिया ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘एक मोदी सरकार, एक गोदी सरकार। हमसे ज्यादा महंगे जूते पहनते हैं, इसलिए सिपाहियों की गोद में बैठकर बाढ़ का निरीक्षण करते हैं। हम जनता के बीच बैठते हैं, विधानसभा में बैठकर उनके लिए काम करते हैं, हम ऐसे हैं, ऐसे ही रहेंगे।’ सिसोदिया ने कहा, ‘हमने जब चुनाव लड़ने का फैसला किया था तब हमें मालूम था कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, लेकिन 3 विषयों को छोड़ दें तो बाकी हमारे पास हैं। जो नहीं है उसके लिए लड़ेंगे क्योंकि हम जनता की वोट की कीमत के लिए लड़ रहे हैं।’

हाई कोर्ट ने 4 अगस्त को फैसला दिया था कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल यहां के प्रशासनिक प्रमुख हैं। हालांकि, सिसोदिया ने स्पष्ट किया कि यह चर्चा हाई कोर्ट के फैसले पर नहीं है बल्कि उसके संदर्भ में है। विधायक भावना गौड़ की ओर से शुरू की गई इस बहस पर नेता प्रतिपक्ष ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि यह अदालत की अवमानना होगी। बहस के दौरान विधायकों ने कहा उन्हें पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की जनता के साथ न्याय करेगा।