दिल्ली की सीमाओं पर बने किसानों के आंदोलन स्थल खाली हो गए हैं। सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे सिंघु बार्डर से किसानों का अंतिम जत्था बाबा संतोख सिंह की अगुआई में विदा हुआ। शुरुआती समय से यहां 380 दिनों तक जमे बाबा संतोख सिंह ने ही अंतिम जत्थे की अगुआई की। करीब एक साल से यहां हजारों किसानों का रेला था। अब यहां केवल स्वयंसेवक रह गए हैं जो सामान समेटने, साफ-सफाई करने, कचरे व अवशिष्टों का निष्पादन करने में जुटे हैं।

गाजीपुर और टिकरी बार्डर पर भी स्थिति कमोबेश यही है। घर वापसी की औपचारिक घोषणा किसान नेता जल्द करेंगे। इस कड़ी में बुधवार को सुबह नौ बजे घर वापसी की घोषणा का एक औपचारिक कार्यक्रम रखा गया है जिसकी अगुआई राकेश टिकैत करेंगे।

पूरे आंदोलन में सिंघु बार्डर किसान संगठनों का मुख्य केंद्र था, जबकि किसानों की संख्या बल के नजरिए से टिकरी बार्डर पर सबसे ज्यादा किसान मौजूद रहे। संख्या के हिसाब से गाजीपुर में सबसे कम आंदोलनकारी थे, लेकिन वे उग्र थे और यहां आंदोलन राकेश टिकैत की वजह से भी ज्यादा सुर्खियोें में रहा। गाजीपुर की तुलना में दोगुनी संख्या में किसान सिंघु सीमा पर और तिगुनी संख्या में टिकरी बार्डर पर डटे रहे।

टिकरी बार्डर पर सोमवार को भी दिनभर किसान सामान और टेंट समेटते रहे। करीब 30 ट्रैक्टरों पर सामान सोमवार को यहां से गया। किसानों ने जश्न मनाने के बाद अपने घर का रुख किया। दिल्ली से बहादुरगढ़ को जोड़ने वाले टिकरी बार्डर को किसानों ने सोमवार को पूरी तरह से खाली कर दिया है और यहां दोनों तरफ की सड़क भी चालू हो गई है । लेकिन गाजीपुर और सिंघु बार्डर पर आंदोलन की जगहों के खाली होने के बावजूद ऐसा नहीं हो सका।

सीमा से बैरिकेड, बोल्डर और कंटीले तारों की परतें अभी अवरोधक बनी हुई हैं। किसान समूहों ने यहां सफाई अभियान शुरू किया। संयुक्त किसान मोर्चा के एक नेता ने कहा कि सिंघु बार्डर पर सफाई का काम चलया। दूसरी ओर लौटे किसानों की घर-वापसी पर मिठाइयों और फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत करने का सिलसिला शुरू हो गया है। किसान संघर्ष मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ के मुताबिक दिल्ली-करनाल-अंबाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही नहीं, बल्कि राजकीय राजमार्गों पर किसानों के परिजन अपने गांव वालों के साथ दिल्ली सीमा से लौटे किसानों का स्वागत किया।

पैर का रुख घर की तरफ, लेकिन नजर सरकार पर’

सोमवार को गाजीपुर बार्डर पर घर वापसी अभियान की निगरानी कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- ‘ पैर घरों की तरफ, लेकिन नजरें केवल सरकार पर’ है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद सबसे बड़ा मुद्दा किसानों पर लादे गए मुकदमों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनवाना है। आंदोलन के कई और मुद्दे थे, जिनपर सरकार की ओर से सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है। इसपर किसानों की नजर बनी रहेगी।

रुकावट अब भी बरकरार!

सिंघु बार्डर से किसानों के चले जाने के बावजूद वहां आवाजाही अवरुद्ध रहेगी। इसकी वजह पुलिस की ओर से बनाई गई वे पक्की दीवारें हैं जिसे हटाना कठिन साबित हो रहा है। सोमवार को भी देर रात तक बुलडोजर, ग्रेंडर, जेसीबी आदि लगे रहे। हालाकि इस समय प्रदूषण के चलते दिल्ली में निर्माण कार्य व तोड़ फोड़ सब पर रोक है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता की स्थिति के और खराब होने के मद्देनजर सरकार ने सरकार 16 दिसंबर तक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा रखा है।