Haryana: किसानों द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने के एक साल के बाद, किसान निकायों (Farmer Bodies) ने 26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर हरियाणा के जींद में एक मेगा रैली का आयोजन किया था। हजारों किसानों ने गुरुवार को हरियाणा के जींद शहर में एक विशाल रैली में भाग लिया और अपनी मांगों को उठाया। इस रैली में हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के किसानों ने हिस्सा लिया।
Budget Session के दौरान संसद मार्च करेंगे किसान
रैली का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर किया गया था। रैली के दौरान, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने भाग लिया। महारैली के बाद SKM नेताओं ने बजट सत्र के दौरान 15 मार्च से 22 मार्च 2023 के बीच एक दिन संसद तक मार्च निकालने की घोषणा की। मोर्चा ने घोषणा की कि 9 फरवरी को कुरुक्षेत्र में होने वाली बैठक में संसद मार्च की सही तारीख तय की जाएगी।
लिखित आश्वासन के बावजूद वादों से पीछे हट गई Government
गणतंत्र दिवस के दिन कई राज्यों से आए हजारों किसान हरियाणा के जींद में रैली के दौरान कहा कि सरकार ने उनसे वादाखिलाफी की है। किसानों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन खत्म करवाते वक्त मोदी सरकार ने उनसे किए गए वादों पर पिछले एक साल में चर्चा तक करना मुनासिब नहीं समझा। सरकार ने उन्हें ठगा है, लिहाजा अब वक्त आरपार की लड़ाई का है।
किसानों ने उठाई ये मांग
रैली के दौरान, SKM के नेताओं ने महत्वपूर्ण मांगों को पूरा करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर अपने आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया और आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लिखित आश्वासन के बावजूद उसी से पीछे हट गई। रैली के दौरान किसानों ने तीन प्रमुख मांगें उठाईं – कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाना, बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को वापस लेना और कर्ज माफी। उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान दर्ज सभी एफआईआर को रद्द करने और फसल बीमा योजना लागू करने की भी मांग की।