चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि वह उन मतदाताओं के नाम की लिस्ट भी प्रकाशित करे जिनके नाम बिहार की वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं। चुनाव आयोग ने यह बात एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका के जवाब में कही है। ADR ने अपनी याचिका में कहा था कि उन 65 लाख मतदाताओं के नाम और बाकी जानकारियों को सार्वजनिक किया जाए, जिनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित किए गए ड्राफ्ट में नहीं थे।
बताना होगा कि बिहार में Special Intensive Revision (SIR) के खिलाफ विपक्ष लगातार आवाज बुलंद कर रहा है। SIR के पहले चरण के बाद यह बात सामने आई थी कि राज्य के करीब 8% मतदाता यानी 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं।
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बिहार से लेकर दिल्ली तक SIR का विरोध
इसके बाद सवाल उठा था कि क्या इन 65 लाख लोगों को चुनाव में वोट डालने का मौका नहीं मिलेगा? राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित तमाम विपक्षी नेता बिहार से लेकर दिल्ली तक SIR का विरोध कर रहे हैं। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
ADR ने 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि इन 65 लाख लोगों के न सिर्फ नाम बताए जाएं, बल्कि नाम क्यों काटा गया, इसकी वजह भी बताएं। चुनाव आयोग ने कहा कि उसे जितने मतगणना फार्म मिले, उनके आधार पर ही वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया है और इस चरण में कोई जांच नहीं की गई है।
चुनाव आयोग ने क्या कहा था?
चुनाव आयोग ने कहा था कि बिहार के करीब 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाताओं में से लगभग 92% यानी 7.24 करोड़ मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची में शामिल किया गया है और 8% मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में नहीं हैं। आयोग के मुताबिक, 22 लाख वोटर ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है लगभग 7 लाख मतदाता एक से ज्यादा जगह पर रजिस्टर्ड हैं, 35 लाख लोग स्थायी रूप से बिहार से चले गए हैं या उनके बारे में पता नहीं लग पाया है। यह आंकड़ा 65 लाख के आसपास बैठता है।
चुनाव आयोग ने कहा था कि ऐसे सभी लोगों की सूची 12 राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ शेयर की गई है।
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Registration of Electors Rules, 1960 का दिया हवाला
शनिवार देर रात को दिए गए जवाब में चुनाव आयोग ने Registration of Electors Rules, 1960 का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि ड्राफ्ट रोल की कॉपी Electoral Registration Officer’s (ERO) के अफसर के ऑफिस के बाहर लगाई जानी चाहिए जिससे लोग इसकी जांच कर सकें। ERO को इस ड्राफ्ट के हर हिस्से को जनता के लिए सार्वजनिक करना चाहिए और हर राजनीतिक दल को दो कॉपी देनी होंगी।
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चुनाव आयोग ने कहा है कि यह जरूरी नहीं है कि ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए गए लोगों के नाम की कोई अलग सूची तैयार की जाए या इसे शेयर किया जाए या नाम को ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं करने की वजह को बताया जाए। चुनाव आयोग ने कहा कि ड्राफ्ट लिस्ट में किसी का नाम शामिल करने के लिए कोई जांच नहीं की जाती और हर शख्स जिसका मतगणना फॉर्म चुनाव आयोग को मिला है, उसका नाम वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची में शामिल किया गया है।
चुनाव आयोग ने फॉर्म 6 भरने के लिए कहा
आयोग ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं हैं, वे 1 सितंबर तक फॉर्म 6 भर कर नए वोटर के रूप में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। फार्म 6 को भरने वाला व्यक्ति यह बताता है कि वह जीवित है और लापता नहीं है।