Bihar Voter List Revision: बिहार में बढ़ते दबाव के बीच चुनाव आयोग को बैकफुट पर आना पड़ा है। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने लोगों से कहा है कि अगर उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं तो वे बिना जरूरी दस्तावेज़ों के भी मतदाता फ़ॉर्म भरकर जमा करें। बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को सभी भरे हुए, हस्ताक्षरित फ़ॉर्म अपलोड करने के लिए कहा गया है, जबकि दस्तावेज बाद में जमा किए जा सकते हैं।
इससे पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर मतदाताओं को ऐसे दस्तावेज दिखाने के लिए कहा था, जो बहुत कम लोगों के पास थे। जिसको लेकर बिहार में घमासान मचा था। विपक्षी दलों ने चुनाव के इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए थे। विपक्षी नेताओं में तेजस्वी, राहुल, ममता समेत कई विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए थे। इतना ही नहीं इसको लेकर ADR ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। साथ ही अपनी याचिका में चुनाव आयोग के फैसले को लेकर कई तरह के सवालिया निशान खड़े किए थे। हालांकि, एक तरह से कहा जाए कि अब चुनाव आयोग को अपने ही फैसले से पीछे हटना पड़ा है।
हिंदी के अख़बारों में छपे एक विज्ञापन में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से कहा गया है, ‘अपने गणना फ़ॉर्म को दस्तावेज़ों और अपनी तस्वीर के साथ भरकर जल्द से जल्द बीएलओ के पास जमा करें। अगर आपके पास ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं हैं, तो भरे हुए हस्ताक्षरित फ़ॉर्म को बीएलओ को भेजें।’
हालांकि चुनाव आयोग (ईसी) ने कोई नया आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन बिहार के सीईओ के कदम को लोगों के बीच घबराहट को कम करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि अंतिम फॉर्म जमा करने की समय सीमा सिर्फ दो सप्ताह दूर (26 जुलाई) है।
जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) को दिए गए निर्देश में सीईओ कार्यालय से कहा गया है, ‘सभी डीएम, बिना दस्तावेजों के फॉर्म एकत्र करें। यह भी सुनिश्चित करें कि अधिकतम फॉर्म एकत्र किए जाएं, ताकि हम मसौदा प्रकाशन पर अधिकतम मतदाताओं को सुनिश्चित कर सकें। दस्तावेजों को बाद में एकत्र किया जा सकता है और बीएलओ डैशबोर्ड (विकसित किया जा रहा है) के माध्यम से अपलोड किया जा सकता है। दस्तावेजों को बाद में एकत्र किया जा सकता है और बाद में अपलोड किया जा सकता है, जो भी फॉर्म बांटते हैं बस गणना फॉर्म भरकर अभी हस्ताक्षर के साथ अपलोड करें (अभी के लिए, भरे हुए गणना फॉर्म को हस्ताक्षर के साथ अपलोड करें)। बीएलओ अपने 90% मतदाताओं को पहले से ही जानते हैं, उन लोगों को छोड़कर जिनका निधन हो चुका है और स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं, सभी फॉर्म अपलोड करें।’
बांका जिले के एक गांव के बीएलओ ने पुष्टि की कि ये निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें दोनों तरह के फॉर्म स्वीकार करने के लिए कहा गया है, चाहे वे दस्तावेजों के साथ हों या बिना दस्तावेजों के। लोगों में ही नहीं बल्कि हम लोगों में भी घबराहट है। मेरे पास जमा करने के लिए 1,300 से ज़्यादा गणना फॉर्म हैं और साथ ही कुछ बोरे दस्तावेज भी हैं जिन्हें स्कैन करना है। 26 जुलाई तक इसे पूरा करना संभव नहीं लगता। हम समयसीमा बढ़ाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तीन साल पहले किए गए घर-घर सर्वे के समान है, जिसमें लोगों से नामों की दोहराव से बचने और यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि जो लोग मर चुके हैं, उनका नाम मतदाता सूची में शामिल न हो।
इंडियन एक्सप्रेस की चल रही सीरीज की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्षेत्र नालंदा और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के वैशाली जिले के राघोपुर से लेकर मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र के मतदाताओं में ईसी द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेजों में से किसी एक को हासिल करने को लेकर चिंता पैदा कर दी है।
यह चिंता विशेष रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) से लेकर अल्पसंख्यकों तक के हाशिये पर रहने वालों के बीच स्पष्ट है। जैसा कि सीरीज की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं को देखते हुए, 11 दस्तावेजों की प्रकृति मतदाताओं के लिए चुनौती पेश करती है, क्योंकि अधिकांश लोगों के पास इन दस्तावेजों तक पहुंच नहीं है। वहीं, लालू यादव ने बताया कि उनकी पार्टी में प्रत्याशियों का चयन कैसे किया जाएगा। पढ़ें…पूरी खबर।
(इंडियन एक्सप्रेस के लिए संतोष सिंह की रिपोर्ट)