Delhi News: दिल्ली के ओखला गांव में मुरादी रोड पर मौजूद खिजर बाबा कॉलोनी में रहने वाले 500 परिवारों ने सुबह उठते ही दो चीजें देखीं। पहला तो उनके घरों और दुकानों की दीवारों पर लाल रंग का क्रॉस बना हुआ था और दूसरा डिस्ट्रिक्ट फर्स्ट, हेड वर्क्स सेक्शन का साइन किया गया एक नोटिस भी था। ज्यादातर घर मुस्लिम परिवारों के थे।

हिंदी में लिखे इस नोटिस में लिखा हुआ है, ‘सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि ग्राम ओखला में खसरा संख्या 277 (खिजर बाबा कॉलोनी, मुरादी रोड), दिल्ली में उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर पक्के मकान व दुकानें आदि बना ली गई हैं। 15 दिन के अंदर अवैध रूप से बने मकान व दुकानें हटा लें। अन्यथा किसी भी प्रकार की क्षति होने पर पूरी तरह से आप ही जिम्मेदार होंगे।’

40 साल के मोहम्मद दानिश करीब 30 सालों से यहां पर रह रहे हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ’15 दिनों में घर हटा दो, उन्होंने हमें कहा है, हम कहां जाएंगे।’ तीन मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर दानिश अपनी पत्नी शहनाज और दो बच्चों के साथ में रहते हैं। दानिश ने कहा कि वह स्टोर पर थे जब उन्हें अपनी पत्नी से नोटिस के बारे में फोन आया।

हम विरोध-प्रदर्शन भी नहीं कर सकते – आसिफ

दानिश ने कहा, ‘बुधवार शाम को सभी बुजुर्गों ने एक बैठक बुलाई। उन्होंने हमसे सभी डॉक्यूमेंट इकट्ठा कर लिए हैं और आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक वकील नियुक्त किया है। हम साकेत की सिविल कोर्ट में जाएंगे।’ आसिफ नाम के एक शख्स ने कहा, ‘हम विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते। अभी सही समय नहीं है। हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह केवल कानूनी तौर पर ही संभव है।’ आसिफ ने बताया कि उनका जन्म यहीं हुआ है। उन्होंने बताया, ‘यह पूरा जंगल था। मैं जिस घर में रहता हूं, वह मेरे दादा का है, जिन्हें दादा मल्ला के नाम से जाना जाता था। वे पिछले 40 सालों से साकेत कोर्ट में केस लड़ रहे थे।’

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यहीं पर रहने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘ग्राउंड फ्लोर को बनाने का काम करीब 50 साल पहले हुआ था और उसके बाद अगले 20-25 सालों में इसमें और मंजिलें जोड़ी गईं। इससे पहले हमें किसी ने कोई नोटिस नहीं दिया।’ इनमें से ज्यादातर इमारते ज्यादा बढ़िया हालत में नहीं हैं और गलियों में गंदगी फैली हुई है। ज्यादातर लोगों ने अपने घर और दुकानें इलाके के दूसरे लोगों को किराये पर दे रखी हैं। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि हमें इस बारे में बात न करने के लिए कहा गया है। अब अदालत फैसला करेगी।

60 साल के मोहम्मद जुबैर को भी उनकी तीन मंजिला इमारत पर नोटिस दिया गया। उन्होंने कहा, ‘चार लोगों, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद बब्बू, दादा मल्ला और काली जैतुन ने साकेत कोर्ट में यूपी सिंचाई विभाग के खिलाफ केस जीत लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘यूपी सिंचाई विभाग का कोई दावा नहीं है। हमारे घर ओखला गांव की सीमा पर बने हैं। इसे लाल डोरे की जमीन कहा जाता था। यह एक ऐसी जगह थी जहां गाय और भैंस चरती थीं। फिर दिल्ली ने भैंसों को हटा दिया और हमारे पूर्वज जमीन लेकर यहां रहने लगे।’

हम रात को सो नहीं पा रहे – स्थानीय व्यक्ति

नाम ना बताने की शर्त पर एक किराने की दुकान के मालिक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हम रात को सो नहीं पा रहे हैं। हमें नहीं पता कि कब बुलडोजर आएगा और हमारा घर गिरा देगा । हम सालों से यहां रह रहे हैं। मैं तो बचपन से पचपन का हो गया। हमें डर है कि अगर हमने कुछ कहा तो इसका उल्टा असर हम पर ही पड़ सकता है। हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। हममें से ज्यादातर लोग छोटे-मोटे काम करते हैं, हम कहां जाएंगे।’

यूपी सिंचाई विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बीके सिंह ने कहा कि अगर कोई अवैध काम है तो उसे ठीक करने में समय लग सकता है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन केवल वही चीजें रह सकती हैं जो वैध हैं और मालिक के पास अधिकार है। प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी, हम दिल्ली सरकार, पुलिस अधिकारियों के संपर्क में थे। जिस पल हमें अनुमति मिली, हमने नोटिस जारी कर दिया।’

क्या यह लाल डोरे की जमीन थी?

यह पूछे जाने पर कि क्या यह जमीन वास्तव में लाल डोरे की जमीन थी, उन्होंने कहा, ‘लोग कुछ भी कह सकते हैं। यूपी सिंचाई एक सरकारी संस्था है। हमने दिल्ली सरकार, पुलिस और राजस्व विभागों से इसकी पुष्टि कर ली है।’ उन्होंने आगे कहा कि अलग-अलग खसरा नंबरों के कई मकानों को नोटिस दिया गया है और 15 दिनों के भीतर मकान खाली करने को कहा गया है। बुलडोजर एक्शन में घर गंवाने वालों को मुआवजे का इंतजार