केंद्रीय भारी उद्योग व सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से कहा कि 2000 सीसी से ऊपर के डीजल वाहनों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट की लगाई गई पाबंदी को दूसरे शहरों तक नहीं बढ़ाया जाए क्योंकि इसका आॅटोमोबाइल उद्योग के विकास की गति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। मंत्रालय ने एनजीटी से आग्रह किया है कि किसी भी शहर में नए वाहनों की बिक्री व पंजीकरण पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई जाए जो ईंधन के इस्तेमाल से इतर उत्सर्जन से संबंधित नियमों का अनुपालन कर रहे हैं।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दिए आवेदन में मंत्रालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2015 को एनएसीआर में 2000 सीसी और इससे अधिक की डीजल एसयूवी व निजी कारों के पंजीकरण पर 31 मार्च, 2016 तक रोक लगाने का आदेश दिया। बाद में इस प्रतिबंध को 30 अप्रैल, 2016 तक के लिए बढ़ा दिया। 30 अप्रैल, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद मामले पर सुनवाई तक यथास्थिति बरकरार रखी।

मंत्रालय ने कहा कि इस घटनाक्रम को देखते हुए भारी उद्योग विभाग का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का लगाया गया प्रतिबंध एनजीटी 11 शहरों तक बढ़ाता है तो इसका आटो उद्योग के विकास की गति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उसने कहा कि आटो उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का सबसे बड़ा हिस्सा है जो विनिर्माण से जुड़ी जीडीपी में 46 फीसद का योगदान देता है। मंत्रालय के अनुसार उसने पर्यावरण संरक्षण और सतत आर्थिक विकास की जरूरतों में संतुलन बैठाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

उसने कहा कि फिलहाल बन रहे और शहरों में बिक रहे सभी चौपहिया वाहन सरकार के तय बीएस-4 नियमों पर खरे उतरते हैं। मंत्रालय ने कहा कि सभी कानूनी नियमों व मानदंडोें को पूरा करने वाले वाहनों के पंजीकरण या बिक्री पर रोक संबंधी कोई भी आदेश देश में विनिर्माताओं के कानूनी ढंग से कारोबार करने के अधिकारों पर कुठाराघात होगा।