UP Politics: लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। जिसके बाद यूपी से लेकर दिल्ली तक मंथन जारी है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को मंत्रियों की बैठक बुलाई।

योगी आदित्यनाथ की यह मीटिंग करीब 1 घंटे से ज्यादा चली, लेकिन इस बैठक में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि राज्य के दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य शामिल नहीं हुए। जिसको लेकर लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं।

बैठक में सहयोगी दलों की तरफ से आशीष पटेल, ओम प्रकाश राजभर संजय निषाद और अनिल कुमार मौजूद रहे। इनके अलावा मंत्री से सांसद बने अनूप वाल्मीकि और जितिन प्रसाद भी मीटिंग में आए। दोनों डिप्टी सीएम कल दिल्ली में थे। डिप्टी सीएम पाठक के बारे में बताया गया है कि वे आज ऋषिकेश जा रहे हैं।

बता दें, लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अफसरों को जनता से जुड़े सभी कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था। इसी के साथ चेतावनी दी थी कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया तेज करने का भी निर्देश दिया था।

एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के कालिदास मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर एक सार्वजनिक शिकायत बैठक ‘जनता दर्शन’ के दौरान ये निर्देश जारी किए थे। बयान में कहा गया था कि उन्होंने प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति से उनकी शिकायतों को समझने के लिए बातचीत की और संबंधित अधिकारियों को उन्हें तुरंत हल करने का निर्देश दिया।

विज्ञप्ति में सीएम के हवाले से कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आम लोगों से जुड़े काम तय समय सीमा के भीतर होने चाहिए। किसी भी काम की अनदेखी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जनता से जुड़े मुद्दे सरकार की प्राथमिकता हैं।

बता दें, उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिन 75 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 72 सीटें ऐसी हैं जहां पर बीजेपी का वोट इस बार घटा है। सिर्फ तीन लोकसभा सीटें- गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), कौशांबी और बरेली ऐसी हैं, जहां पार्टी को पिछली बार से ज्यादा वोट मिले हैं।

इन 75 लोकसभा सीटों में से 12 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर बीजेपी के वोट एक लाख से ज्यादा कम हुए हैं। इन सीटों में मथुरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, फतेहपुर और गोरखपुर शामिल हैं। जबकि 36 सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टी के वोट 50 हजार से 1 लाख के बीच में कम हुए हैं।