वायु प्रदूषण के कारण एक नया स्वास्थ्य संकट उभर रहा है और ये गठिया या जोड़ों के दर्द की समस्या को बढ़ावा दे रहा है, जो दुनिया भर में सबसे दुर्बल करने वाली ‘आटोइम्यून’ बीमारियों में से एक है। विशेषज्ञों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। यहां यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में नौ से 12 अक्तूबर तक आयोजित ‘इंडियन रुमेटोलाजी एसोसिएशन’ (इराकान 2025) के 40वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान प्रमुख विशेषज्ञों ने चिंताजनक प्रमाण प्रस्तुत किए कि जहरीली हवा और प्रदूषक पीएम2.5 दिल्ली-एनसीआर में गठिया के मामलों में वृद्धि का कारण बन सकते हैं।
एम्स, दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लोग अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों, विशेषकर मुख्य सड़कों के 50 मीटर के दायरे में रहते हैं, उनमें गठिया अधिक गंभीर रूप में देखा गया है। वहीं, 200 मीटर के बाहर रहने वाले लोगों में इसकी तीव्रता अपेक्षाकृत कम पाई गई।
एम्स के रुमेटोलाजी विभाग की प्रमुख डाक्टर उमा कुमार के अनुसार, 18 से 60 वर्ष के मरीजों पर किए गए शोध में यह पाया गया कि दिवाली के बाद और मार्च से पहले के महीनों में, जब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण चरम पर होता है, उस दौरान गठिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है।
दवाएं भी नहीं करतीं असर
इस दौरान दवाएं भी असर नहीं करतीं और बीमारी की गति धीमी हो जाती है। एम्स अब आइआइटी के साथ मिलकर पीएम 2.5 में मौजूद उन तत्वों की पहचान कर रहा है, जो गठिया को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वहीं रुमेटोलाजी के डाक्टर बिमलेश धर पांडेय ने कहा भारत में गठिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चों में जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस, महिलाओं में रुमेटाइड आर्थराइटिस और बुजुर्गों में आस्टियोआर्थराइटिस पाया जाता है।
आंकड़े बताते हैं कि यह रोग महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। इनके इलाज के लिए देश में केवल 1400 विशेषज्ञ ही हैं। डाक्टरों की संख्या कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज की सुविधा नहीं है, जबकि रोग की जल्द पहचान से बिना सर्जरी ही गंभीरता को कम या इलाज किया जा सकता है।
वहीं डाक्टर नीरज जैन ने कहा कि अभी तक इस रोग को आनुवंशिक मानते थे, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के स्तर, मोटापा, खराब नींद, तेजी से बढ़ती धूम्रपान की आदत, तनाव सहित दूसरे कारण रोग के मामले के मामले बढ़ा दिए। साथ ही देर से इलाज के कारण गंभीरता भी बढ़ रही है, जबकि इसके लिए सटीक इलाज (टारगेट थेरेपी), आधुनिक दवाएं व दूसरे साधन उपलब्ध हो गए हैं।