आउटर दिल्ली के मुंडका में पिछले महीने एक व्यावसायिक इमारत में आग लग गई थी। ये आग इतनी भीषण थी कि इस दौरान 27 लोगों की जलकर मौत हो गई। इसी आग में जलकर 42 वर्षीय गीता देवी की मौत हुई थी। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि उनका अंतिम संस्कार एक महीने के बाद किया गया है। मंगलवार को गीता देवी का अंतिम संस्कार उनके रिश्तेदारों और दिल्ली पुलिस कर्मियों ने मिलकर किया। इसके पीछे की वजह थी कि मृतकों गीता अकेली ऐसी पीड़िता थी जिसका डीएनए उसके रिश्तेदारों से मेल नहीं खा रहा था।

13 मई को दिल्ली के मुंडका में एक पांच मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई थी। इस आग लगने के दौरान इमारत में लगभग 120 लोग फंस गए थे और उनमें से 27 लोगों की इमारत से बाहर नहीं निकल पाने की वजह से मौत हो गई थी। चूंकि अधिकांश शव जले हुए थे और उन्हें पहचाना नहीं जा सकता था, इसलिए मृतकों की पहचान का पता लगाने के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग परीक्षण किए गए। जबकि अन्य परिवार परिजनों की तलाश में मोर्चरी में पहुंचे उस समय तक गीता के परिवार से कोई नहीं आया। गीता बिहार के झिकरुआ गांव की रहने वाली थी। दिल्ली पुलिस को इस बात का पता लगाने में छह दिन से अधिक का समय लग गया।

ये काफी मुश्किल काम थाः दिल्ली पुलिस
एक पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, “हम डीएनए की मैचिंग और परिवारों को शव भेजने के लिए फोरेंसिक साइंस लैब के साथ काम कर रहे हैं। यह काफी मुश्किल था क्योंकि परीक्षणों में समय लगता था और परिवार के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन गीता के मामले में हमारे पास कोई नहीं आया। हमें दिल्ली में उसकी मकान मालकिन का पता लगाना था।”

गीता के परिजनों का डीएनए मैच नहीं कर रहा था
गीता उस इमारत में एक सहायक के रूप में काम करती थी जहां इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सीसीटीवी और अन्य निगरानी उपकरण पैक और बेचे जाते थे। वह 2018 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के साथ मुंडका में रह रही थी। गीता की मकान मालकिन और दोस्त अनीता ने कहा, “हमने शव की पहचान करने की कोशिश की लेकिन वह जल चुका था। पुलिस ने हमसे डीएनए टेस्ट के बारे में पूछा लेकिन हम उसके रिश्तेदारों को नहीं जानते थे क्योंकि वह कभी उनके बारे में बात नहीं करती थी। वह एक बहन की तरह थी। हम उसका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार थे लेकिन पुलिस ने हमें इंतजार करने के लिए कहा। गीता के किराए के आवास से पुलिस को उसका फोन और दस्तावेज मिले। एक टीम ने गीता के भाई मंटू कुमार का पता लगाया और उसका ब्लड सैंपल लिया गया।

27 जून को हुआ डीएनए का मैच
आउटर दिल्ली के डीसीपी समीर शर्मा ने बताया, ‘मामला बहुत ही चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मंटू का डीएनए मेल नहीं खाता था। पुलिस ने फिर अन्य भाई-बहनों और गीता के रिश्तेदारों को दिल्ली आने के लिए कहा और उनके ब्लड सैंपल लिए गए लेकिन उनमें से भी किसी का डीएनए का गीता देवी के डीएनए से मैच नहीं किया।’ डीसीपी ने आगे बताया, “अन्य सभी लोगों के शवों के डीएनए उनके परिजनों से मैच कर चुके थे सबके शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके थे। 27 जून को उसका सैंपल उसकी बहन से मिला। एक दिन बाद, परिवार और पुलिस ने सुल्तानपुरी के एक श्मशान में अंतिम संस्कार किया।”

परिजनों ने बताया एक दशक पहले गीता ने छोड़ दिया था घर
श्मशान घाट पर जहां पुलिस ने अंतिम संस्कार में मदद की, वहीं परिवार के कुछ सदस्य ही नजर आए। गीता के भाई मंटू ने कहा,”गीता दीदी ने एक दशक पहले घर छोड़ दिया क्योंकि माता-पिता ने उसे शादी के लिए मजबूर किया, जिसके बाद हम मुश्किल से 6-7 बार मिले। मैंने उसे छह महीने पहले आखिरी बार देखा था। वह हमारी सबसे बड़ी बहन थी। उसने दिल्ली में अपने जीवन की शुरुआत अपने दम पर की और कभी मदद नहीं मांगी। पति की मौत के बाद भी वह वापस नहीं आई। मुझे आग लगने के 2-3 दिन बाद मौत के बारे में पता चला।” गीता के परिवार ने कहा कि उन्हें डीएनए परीक्षण के लिए कई बार दिल्ली जाना पड़ा और परिणामों के लिए हफ्तों इंतजार करना पड़ा। गीता की बहन मनिता ने कहा, “काश हमने उसके साथ और समय बिताया होता। वह ज्यादातर अपने तक ही रहती थी…”

हादसे में मृतकों के परिजनों को 10 लाख मुआवजे का ऐलान हुआ था
आपको बता दें कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने मुंडका इमारत अग्निकांड के अगले दिन मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। वहीं सरकार ने इस अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया था। वहीं इस हादसे में घायल हुए लोगों को दिल्ली सरकार ने 50-50 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटना का जायजा लेते हुए कहा था कि जांच के परिणाम सामने आने के बाद ही हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है इस बात का पता चलेगा।