साल 2011 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर एक लड़की की लाश मिली थी। हत्याकांड के कुछ दिन बाद पता चला था कि पीड़िता का नाम नीतू सोलंकी है। हत्याकांड का आरोपी लड़की का लिव-इन पार्टनर राजू गहलोत था, जो कि हत्या के बाद से ही फरार चल रहा था। अब जाकर उस हत्याकांड के आरोपी तक पुलिस पहुंच पायी है, लेकिन पुलिस जब आरोपी राजू गहलोत के पास पहुंची तो उसकी मौत हो चुकी थी। हैरानी की बात ये है कि राजू गहलोत अपनी पहचान बदलकर दिल्ली से सटे गुरुग्राम में ही रह रहा था और पुलिस उस तक नहीं पहुंच पायी। बीते 8 सालों में इस केस की जांच 8 अफसरों को सौंपी गई, लेकिन कोई भी राजू गहलोत तक नहीं पहुंच पाया। इस दौरान पुलिस ने राजू के पकड़ने के लिए 2 लाख रुपए के इनाम की भी घोषणा की हुई थी, इसके बावजूद राजू, पुलिस के शिकंजे से खुद को बचाने में सफल रहा।

बदल डाली अपनी पूरी पहचानः राजू गहलोत ने फरार होने के बाद अपनी पूरी पहचान बदल ली थी और रोहन दहिया के नाम से गुरुग्राम में रह रहा था। आरोपी फिलहाल एक ई-कॉमर्स कंपनी में नौकरी कर रहा था। कंपनी के मालिक का कहना है कि नौकरी ज्वाइन करते वक्त गहलोत ने अपने सारे पहचान पत्र जमा कराए थे, जिनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और 12वीं कक्षा की मार्कशीट भी शामिल थी। इन सभी पर उसका नाम रोहन दहिया लिखा हुआ था।

खुलासे के बाद सहकर्मी हैरानः राजू गहलोत की मौत के बाद जब पुलिस पूछताछ के लिए उसकी कंपनी पहुंची तो सहकर्मियों को उसके हत्यारे होने का पता चला, जिसे सुनकर सहकर्मी हैरान रह गए। सहकर्मियों का कहना है कि ‘रोहन दहिया’ एक अच्छा कर्मचारी था, उसने शायद ही कभी छुट्टी ली हो और ना ही उसने अपने वरिष्ठ कर्मियों के साथ कभी बहस की थी। उसके शांत स्वभाव और काम के प्रति समर्पण के चलते ऑफिस में लोग उसकी काफी इज्जत भी करते थे।

गहलोत गुरुग्राम के सेक्टर 18 में स्थित एक ई-कॉमर्स कंपनी में साल 2017 से काम कर रहा था। कंपनी के लोगों ने बताया कि उनके पास सेल्स बैकग्राउंड के कर्मचारी के लिए वैकेंसी थी। जिसके लिए गहलोत ने अप्लाई किया था और बताया था कि वह गुरुग्राम की एक मार्केटिंग फर्म में बतौर सेल्स पर्सन काम कर चुका था। गहलोत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वॉकेशनल स्टडीज कॉलेज से स्नातक किया था। उसके बाद उसने उसी कॉलेज से टूरिज्म में मास्टर की डिग्री हासिल की। राजू गहलोत ने फ्रेंच में डिप्लोमा भी किया था।

एयर इंडिया में की थी नौकरीः राजू गहलोत ने साल 2006 में बतौर क्रू मेंबर एयर इंडिया भी ज्वाइन की। उसे एयर इंडिया की तरफ से दिल्ली के बसंत विहार में रहने के लिए घर भी दिया गया था। बाद में उसने वह नौकरी छोड़ दी थी। राजू गहलोत के सहकर्मियों का कहना है कि वह आमतौर पर शाम की शिफ्ट में ऑफिस आता था और हमेशा फॉर्मल कपड़ों में ही दिखाई देता था। राजू गुरुग्राम के सेक्टर 17 में ही एक पीजी में रहता था। पीजी के लोगों का भी कहना है कि वह ज्यादा बातचीत नहीं करता था और ज्यादा लोगों से उसका मिलना-जुलना भी नहीं था। गहलोत के पूर्व सहकर्मियों का ये भी कहना है कि वह बहुत ज्यादा शराब पीता था। करीब एक हफ्ते पहले वह बीमार पड़ा और उसके इलाज के लिए सहकर्मियों ने ही 2 लाख रुपए आपस में मिलकर इकट्ठा किए थे। राजू की मौत लिवर खराब होने के चलते हुई। राजू के बीमार होने की जानकारी उसके घरवालों को हुई, जिन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। इसके बाद पुलिस अस्पताल पहुंची, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही राजू गहलोत की मौत हो गई।