दिल्ली की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने राजधानी के विधायकों को मिलने वाली विधायक क्षेत्र विकास निधि (एमएलएएलएडी) में कटौती का निर्णय लिया है। अब वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्रत्येक विधायक को अपने क्षेत्रीय विकास कार्यों के लिए सालाना केवल पांच करोड़ रुपए ही उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे पहले यह राशि 10 करोड़ रुपए प्रति विधायक थी।

इस प्रस्ताव को हाल ही में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में पारित कर दिया गया है। सरकार ने इस निर्णय को राजकोषीय अनुशासन और वित्तीय प्राथमिकताओं के तहत जरूरी बताया है, हालांकि विपक्ष ने इसे विकास विरोधी कदम करार दिया है।

मंत्रिपरिषद में शहरी विकास विभाग की ओर से लाया गया था प्रस्ताव

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में दो मई को मंत्रिपरिषद की खास बैठक हुई थी। इस बैठक में विधायकों निधि योजना से जुड़े मामले की समीक्षा करने को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था। सूत्र बताते हैं कि यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग की ओर से मंत्रिपरिषद के समक्ष पेश किया गया था।

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चालू वित्तीय वर्ष में विधायक निधि पांच करोड़ रखने का प्रस्ताव किया गया जिसको चर्चा करने के बाद मंत्रिमंडल में मुहर लगा दी गई। सूत्रों की माने तो इस बाबत अब मुख्य सचिव धर्मेंद्र की ओर से पत्र भी जारी कर दिया गया है। दरअसल, मुख्य सचिव, दिल्ली मंत्रिपरिषद के सचिव होते हैं। सामान्य प्रशासनिक विभाग की ओर से जारी पत्र के माध्यम से मंत्रिपरिषद निर्णय संख्या 3187 से उपराज्यपाल के प्रधान सचिव और सभी मंत्रियों के सचिवों को भी अवगत करा दिया गया है।

अभी मिलता था 10 करोड़

इस बीच देखा जाए तो दिल्ली की पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में विधायक निधि को चार करोड़ से बढ़ाने का निर्णय लिया था। पूर्व सरकार ने 7 अगस्त 2018 के कैबिनेट निर्णय संख्या 2623 में इस राशि को 10 करोड़ किया था जिस पर शहरी विकास ने साफ किया कि इस बाबत प्रस्ताव लिखित में नहीं रखा गया था।

फंड देने के लिए सरकार के पास नही उपलब्ध थी राशि

जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने इस निर्णय को वित्तीय वर्ष 2018-19 से प्रभावी माना था। शहरी विकास विभाग ने विधायक राशि से जुड़े मामले पर गत 16 अगस्त, 2024 को भी एक आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि उसके पास 10 करोड़ के हिसाब से फंड देने को राशि उपलब्ध नहीं है। इस मामले पर पूर्ववर्ती सरकार और नौकरशाही के बीच भी टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी।