प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली में पिछले डेढ़ महीने से ज्यादासमय से सरकार होने के बावजूद प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी तरह ठप है। राजनीतिक ईमानदारी, सुचिता व स्वराज की बात करने वाले मुख्यमंत्री आज एक कुशल प्रशासक नहीं बल्कि एक अवसरवादी राजनीतिक बाजीगर के रूप में उभरे हैं।

स्वराज की बात कर सत्ता में आए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब प्रधानमंत्री से मिलने जाते हैं तो योजनाएं पूरी करने के लिए केंद्र से अतिरिक्त सहायता मांगते हैं। दिल्ली की जनता और मीडिया से कहते हैं कि हम तो वादे पूरे कर दें पर केंद्र हमारी मदद नहीं कर रहा। वहीं दूसरी ओर जब नगर निगम अपने हक का राजस्व का हिस्सा मांगते हैं तो केजरीवाल एक शातिर नेता की तरह कहते हैं कि निगम स्वयं पैसा लाएं या फिर निगम के भाजपा नेता इस्तीफा दे दें। मैं खुद नगर निगम चला लूंगा। उपाध्याय ने कहा कि अजब विडम्बना है कि स्वराज और रायसुमारी की बात करने वाली पार्टी शासकीय प्रणाली की नींव नगर निगमों से राजनीति कर रहे हैं।

उपाध्याय ने कहा कि परिवर्तन पैकेज की राजनीति की बात करने वाले मुख्यमंत्री की सरकार की निष्क्रियता के चलते गर्मी शुरू होने से पहले ही जनता को बिजली-पानी के लिए हाहाकार करना पड़ रहा है। व्यापारी वैट विभाग की ओर से ज्यादा टैक्स जमा कराने के दबाव और रेड की धमकियों से त्रस्त हैं। महिलाओं को बसों में गार्ड का इंतजार है, आरडब्लूए को सीसीटीवी की आस है। पर सरकार के घर से आवाज आती है तो अंतरकलह की और सरकार में बने रहने के लिए विधायकों को पदों की बंदर बांट की।

दिल्ली को हरियाणा से पहले से ज्यादा पानी मिल रहा है फिर भी बजाए दिल्ली के जल वितरण को सुधारने के मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के वैकल्पिक नेतृत्व को ठिकाने लगाने में मदमस्त हैं। उपाध्याय ने कहा है कि अजीब विडम्बना है कि सरकार के लिए लोकपाल बनाने की बात पर सरकार छोड़कर भागे नेता आज अपनी पार्टी के ही लोकपाल व न्यायपालिका की बातों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण है कि कोर्ट की तीखी टिप्पणियों के बावजूद भी केजरीवाल अपने बोगस मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।