भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीन महीनों में बिहार से लेकर असम में हुए विभिन्न चुनावों में अपना झंडा गाड़ा है। भाजपा ने जहां-जहां इस दौरान जीत हासिल की है, उसमें बिहार विधानसभा चुनाव, अरुणाचल स्थानीय निकाय चुनाव, असम के बीटीसी चुनाव, राजस्थान के ग्राम पंचायत और जिला परिषद चुनाव, गोवा जिला पंचायत, लद्दाख काउंसिल इलेक्शंस, ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (जीएसएमसी) चुनाव और असम का टीएसी शामिल है।

हालांकि, जम्मू और कश्मीर में District Development Council (DDC) के चुनाव में पार्टी फिलहाल सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल करती ही दिख रही है। दोपहर ढाई बजे तक के नतीजों के मुताबिक, बांदीपोरा से भाजपा के अयाज खान तो खोनमोह से ऐजाज हुसैन जीते हैं। खबर लिखे जाने तक 280 सीटों पर वोटों की गिनती जारी, जबकि इनमें 194 सीट पर ट्रेंड्स आ चुके हैं।

श्रीनगर के जिला चुनाव अधिकारी डॉ.शाहिद चौधरी ने समाचार एजेंसी ANI को बताया- श्रीनगर में 14 डीडीसी सीटों पर सात निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं, जबकि Apni Party ने तीन सीट पर कब्जा किया है। वहीं, एक-एक सीट BJP, PDP, National Conference, Jammu & Kashmir People’s Movement के खाते में गई है।

इसी बीच, जम्मू की डिप्टी कमिश्नर सुषमा चौहान ने बताया- चुनाव नतीजों के ऐलान के मद्देनजर प्रतिबंधात्मक और निषेधात्मक उपाय किए गए हैं। राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा बिना अनुमति के कोई भी विजय जुलूस नहीं निकाला जाएगा।

अब तक के रुझानों के मुताबिक, J&K में तस्वीर कुछ ऐसी नजर आ रही हैः

बीजेपी – 44
कांग्रेस – 21
गुपकार – 88
अन्य – 57

बता दें कि डीडीसी की 280 सीटों के लिए आठ चरण में चुनाव हुए थे। केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिलों में प्रत्येक में 14 सीटें हैं। ये चुनाव क्षेत्र में भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के बीच मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहला चुनाव है।

कश्मीर केन्द्रित मुख्य धारा की सात राजनीतिक पार्टियों ने गुपकर घोषणा पत्र गठबंधन (पीएजीडी) के बैनर तले चुनाव लड़ा था। इन पार्टियों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी शामिल हैं।

शुरुआत में कांग्रेस भी पीएजीडी का हिस्सा थी, लेकिन बाद में उसने गठबंधन से दूरी बना ली क्योंकि भाजपा ने विपक्षी दलों को ‘‘गुपकर गैंग’ कहते हुए निशाना साधा था। पिछले सात चरण में कांग्रेस अकेले ही चुनाव में उतरी लेकिन ऐसा समझा जाता है कि पीएजीडी के साथ उसकी सहमति थी।