कोरोना महामारी के चलते बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिलने और व्यवस्था की खामियों की वजह से दम तोड़ रहे लोगों के बीच परिजनों में जबरदस्त गुस्सा पनप रहा है। इसकी वजह से कई बार वे हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (एनएमसीएच) में बुधवार की भोर में एक कोरोना पीड़ित की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने जमकर तोड़फोड़ की।

इस दौरान नाराज परिजनों ने डॉक्टरों पर भी हमला बोल दिया और जिसे सामने पाया, उसे पीट दिया। कई डॉक्टर और अन्य चिकित्साकर्मी कमरे में खुद को बंद कर अपनी जान बचाई। परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज की मौत हुई है। गुस्साए लोगों ने पेइंग वार्ड में जूनियर डॉक्टर के रूम पर भी हमला किया। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र ने बताया कि भोर में चार बजे सर्जिकल वार्ड में एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। उन्होंने वार्ड में रखे छोटे-छोटे सिलेंडरों को पलट दिया। इसकी प्रतिक्रिया में नाराज डॉक्टरों ने भी काम बंद कर दिया।

डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल में पिछले साल की तुलना में इस बार चार गुना अधिक मरीज हैं। जबकि स्टाफ एक-तिहाई हो गया है। एमबीबीएस फाइनल ईयर का एग्जाम नहीं होने की वजह से 150 इंटर्न नहीं आ पाए हैं।

नॉन-एकेडमिक जेआर का टेन्योर खत्म हो गया है। ऐसे में हमें तत्काल 150 नॉन एकेडमिक जेआर की आवश्यकता है, लेकिन इस ओर न तो अधीक्षक ने कोई कदम उठाया है और न ही स्वास्थ्य सचिव ने इसके बारे में कुछ किया है। ऐसे में मरीजों के इलाज में दिकक्त हो रही है।

घटना के वक्त वहां एक भी पुलिसकर्मी नहीं था। थोड़ी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची। डॉक्टरों का कहना है कि इससे पहले भी ऐसी घटना हो चुकी है। उस वक्त पटना के डीएम और एसएसपी की ओर से सुरक्षा का आश्वासन मिला था, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं किया गया।