पूर्वी बिहार में सबसे अधिक बेड वाले (960 बिस्तर) भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) की बदइंतजामी को लेकर खूब सवाल उठ रहे हैं। इसके जवाब में यहां के डॉक्टर ने सवाल किया है कि आधे से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं, अगर इलाज ही नहीं होता है तो यहां मरीज ठीक कैसे हो रहे हैं? पर अस्पताल की बदइंतजामी साफ दिख रही है। अलग बात है कि संबंधित अधिकारी इसकी वजह संसाधनों की कमी बता रहे हैं। अस्पताल की व्यवस्था देखने के लिए एक आईपीएस अधिकारी की तैनाती भी की गई है।
सोमवार को जब अस्पताल का हाल जानने जनसत्ता संवाददाता आइसोलेशन वार्ड पहुंंचे तो उस वक्त निश्चेतना (एनेस्थेसिया) के विभागाध्यक्ष अर्जुन कुमार अपना सैंपल जांच कराने के लिए खड़े थे। वार्ड में तब 46 मरीज भर्ती थे। भागलपुर में कुल संक्रमितों की संख्या 1663 है। इनमें से 842 स्वस्थ होकर घर लौटे हैं। 21 की मौतें भी हुई है। आईसीयू में मरीजों का इलाज करते मिले विशेषज्ञ डाक्टर शशिकांत जोशी ने कहा कि आधे से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैंं। अगर इलाज ही यहां नहीं होता है तो यहां ठीक कैसे हो रहे हैंं?
ध्यान रहे कि जो आधे मरीज ठीक हुुुए हैं, वे सब अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। अस्पताल परिसर की जिस बिल्डिंंग में आइसोलेशन वार्ड बना है, वह बच्चों के लिए बना था। मगर कोरोना की वजह से इसे 100 बिस्तर वाले आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया गया। राज्य सरकार ने जेएलएनएमसीएच को कोविड-19 मरीजों के लिए समर्पित अस्पताल घोषित किया है।
अस्पताल के अधीक्षक डा.अशोक भगत कोरोना संक्रमित होने के चलते एकांतवास में हैंं। कई डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी संक्रमित हो इलाजरत हैंं। प्रभारी अधीक्षक डा.कुमार गौरव हैंं, मगर अधीक्षक का सरकारी मोबाइल इन्होंने बंद कर रखा है। आप किससे फरियाद करेंगे? स्वास्थ्यकर्मियों की घोर किल्लत है।
आईसीयू में तो और दिक्कत है। पांच-छह घंटे पीपीई किट पहनकर कोरोना मरीजों का इलाज करना इनके लिए मुसीबत से कम नहीं। एक दफा दवा-इंजेक्शन देने के बाद ये पीपीई किट खोल देते हैंं। इसके घंटे-दो घंटे बाद यदि मरीजों को इनकी जरूरत हुई तो ये कुर्सी से हिलते नहीं हैं।
बदइंतजामी का आलम यह हैै कि शुक्रवार रात एक इलाजरत महिला की मौत हो गई। वह वेंटिलेटर पर थींं। बिजली गुल होते ही वेंटिलेटर बंद हो गया। जेनरेटर की लाइन आने में थोड़ा समय लगा और वेंटिलेटर के लिए बिजली का बैक अप रह नहीं गया था। महिला ने दम तोड़ दिया।
डाक्टर बताते हैंं कि उपकरण मौजूद हैं, मगर उनका इस्तेमाल करने वाले तकनीकी कर्मचारी नहीं हैं। इसके चलते कई मशीनें बंद पड़ी हैंं। अक्सर कार्टिज खत्म हो जाने के चलते सैंपल टेस्ट का काम बाधित हो जाता है।
बिहार में 24 घंटे में 1076 नए मामले सामने आए है। कुल संक्रमितों का आंकड़ा 27455 हो चुका है। राज्य में भागलपुर का नंबर पटना के बाद दूसरा है। आंकड़ा बढ़ता देख प्रशासन और अस्पताल प्रशासन में घबराहट होने लगी है। इसी वजह से भागलपुर स्टेशन पर 20 कोच वाली आइसोलेशन ट्रेन भी खड़ी कर दी गई है। प्रधान सचिव ने बिहार के 15 स्टेशनों पर 20 कोच वाली आइसोलेशन ट्रेन लगाने के लिए लिखा है।
इधर बिहार के मेडिकल कालेज अस्पतालों में तैनात किए गए आईपीएस अधिकारियों में से जेएलएमएमसीएच में तैनात किए गए आईपीएस भरत सोनी ने अपना योगदान सोमवार सुबह दे दिया है। ये 2019 बैच के आईपीएस हैंं और सुपौल में बतौर प्रशिक्षु तैनात थे। इन्हें केवल अस्पताल की व्यवस्था को देखने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है।
पदभार ग्रहण करते ही सोनी ने अस्पताल अधीक्षक और वरीय चिकित्सकों के साथ आइसोलेशन वार्ड समेत आईसीयू, आपातकालीन सेवा विभाग का मुआयना किया और हालात का जायजा लिया।
उधर, दिल्ली से जायजा लेने आई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने बिहार में भी ‘थ्री टी’ का फार्म्यूला दिया है। थ्री टी का मतलब ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट।संक्रमितों को अलग किए बगैर कोरोना की कड़ी तोड़ी नहीं जा सकती। संदिग्ध मरीजों के नमूनों की जांच बढ़ानी भी जरूरी है। अभी करीबन दस हजार रोजाना जांच का दावा स्वास्थ्य महकमा कर रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री ने बीस हजार जांच तक ले जाने का निर्देश दिया है।
समीक्षा बैठक में कहा गया है कि राज्य के 534 प्रखंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैंं। इन केंद्रों पर मंगलवार से एंटीजन किट से जांच शुरू करने का आदेश दिया है। इसकी रिपोर्ट आधे घंटे में आ जाती है।