Covid-19: भारत में कोरोना वायरस महामारी का कहर अपने चरम पर है। इस बीमारी के कारण देश में प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को मौत हो रही है। इधर कोरोना के संबंध में अमृतसर के एक हॉस्पिटल से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। शहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के गुरु नानक देव हॉस्पिटल (जीएमसी) में जिन गंभीर रूप से बीमारी कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया था उनमें किसी की भी जान नहीं बच सकी।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसके लिए मरीजों के बहुत देर से हॉस्पिटल में पहुंचने का कारण बताया है। शनिवार सुबह तक हॉस्पिटल में ऐसी 21 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। बता दें कि अमृतसर में जीएमसी एक रेफरल सेंटर है, जहां पंजाब के आठ जिलों के गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है।
जीएमसी की प्रिंसिपल सुजाता शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वेंटिलेटर पर शिफ्ट होने के बाद से अब तक कोई कोरोना मरीज जिंदा नहीं बचा है। गुरु नानक देव हॉस्पिट में सभी कोविड-19 मरीजों की मौत वेंटिलेटर पर हुई हैं। इनमें अधिकांश मरीज जब हॉस्पिटल पहुंचे उनकी हालत पहले ही काफी गंभीर थी।
Coronavirus in India Live Updates
अभी तक प्रदेश के अमृतसर में ही सबसे अधिक कोरोना मरीजों की पुष्टि और मौत हुई है। रविवार तक शहर में 613 लोगों को कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर रमन ने बताया कि शनिवार सुबह तक जीएमसी में 967 मरीजों को भर्ती कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें हम 21 मरीजों को बचा नहीं सके। इसके अलावा अभी तक 60 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट के बेड पर रखा गया है।
सामान्य भाषा में बताए तो वेंटिलेटर एक महत्वपूर्ण मेडिकल उपकरण है जो फेफड़ों को अधिक नुकसान या सांस लेने में परेशानी से जूझ रहे मरीजों के फेफड़ों में हवा या ऑक्सीजन पहुंचाता है। नोवल कोरोना वारयस के लक्षणों में से एक सांस फूलने की बीमारी है।
शर्मा ने बताया कि जीएमसी पंजाब के आठ जिलों के मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती कर रहा है। उन्होंवे कहा कि लगभग गंभीर हालत में निजी हॉस्पिटलों द्वारा मरीजों को हमारे पास भेजा जाता है। इनमें कुछ जीएमसी पर भेजे जाने से पहले ही वेंटिलेटर पर थे। इसके अतिरिक्त यहां वेंटिलेटर पर शिफ्ट किए जाने के ही चंद घटों के भीतर कुछ मरीजों की मौत हो गई। हॉस्पिटल में मृत्युदर से इसलिए अधिक लगती है क्योंकि मरीजों को बहुत देरी से यहां शिफ्ट किया गया।
उन्होंने कहा कि विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि वेंटिलेटर पर शिफ्ट होने के बाद पूरी दुनिया में मृत्यु दर 98 से 100 फीसदी है। ये सामान्य बात है। दूसरी तरफ संयोग से जीएमसी में डॉक्टरों ने ऐसे दो मरीजों की जान बचा ली जिन्हें गंभीर रूप से बीमार होने के बाद भी वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया।