बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। बिहार में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 2,803 नए मामले सामने आए हैं जबकि अब तक कुल 232 लोगों की जान जा चुकी है। भागलपुर में भी कोरोना अपने पैर तेजी से पसार रहा है।
जिले में महामारी के बढ़ते मामलों और उस पर सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर लोगों में रोष देखने को मिल रहा है। महामारी के बीच नेताओं की चुनावी तैयारियों को लेकर आलोचना हो रही है। दिल्ली में राजमिस्त्री का काम करने वाले अनिल सिंह लॉकडाउन के बाद अपने गांव मेहसलेती लौट चुके हैं। यहां पर फिलहाल उनके पास कोई काम नहीं है।
सरकार के साथ ही विपक्ष भी उनके निशाने पर है। वह कहते हैं कि सब लोगों ने हमे छोड़ दिया। क्या कोई हमारी मदद के लिए आया? क्या कोई विधायक आया? ये सब लोग एक हैं। अनिल सिंह और उनके साथ 70 लोग दिल्ली से ट्रक से बिहार पहुंचे थे। इन लोगों ने ट्रक ड्राइवर को प्रति व्यक्ति 3500 रुपये दिए थे। इसके बाद घंटों भूखे, प्यासे रह कर किसी तरह अपने गांव पहुंचे।
सिंह बताते हैं कि रात के अंधेरे में हम लोग ऐसे छुप रहे थे जैसे अपराधी हों। सिंह ने उस वाकये को याद करते हैं जब ट्रक ड्राइवर दिल्ली पुलिस की गाड़ी से छुपने का प्रयास कर रहा है। सिंह ने कहा कि उस समय मुझे नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी पर बहुत गुस्सा आया। इन लोगों ने देश को बंद करने से पहले सिर्फ 4 घंटे दिए। गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया। हम लोग कीड़े मकौड़े हैं क्या?
भागलपुर के स्थानीय भाजपा नेताओं ने स्वीकार किया कि मई और जून में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों पर सत्तारूढ़ राजग के खिलाफ गुस्से का माहौल था। “जब हमने डिजिटल रैलियों (अमित शाह सहित भाजपा नेताओं द्वारा आयोजित) के लिए उपकरण स्थापित किए, तो उन्होंने पूछा कि क्या हम इसके बजाय उनकी मदद नहीं कर सकते।
पार्टी ने कहा कि हम लोगों से मिलते रहें, उनसे पूछें कि वे अपने नेताओं से क्या चाहते हैं,। भागलपुर के एक पूर्व डिप्टी मेयर कहते हैं,“ मोदी और नीतीश की तुलना में दुनिया भर में महामारी से निपटने के लिए कौन अच्छा प्रशासन का प्रतीक हो सकता है? अब लोग महसूस करते हैं कि यह दर्द हर जगह, हर राज्य में है। ”
कोसी नदी में बाढ़ से प्रभावित गोविंदपुर, नौगछिया के युवाओं ने वर्तमान राजनेताओं को “मीडिया नेता” बताते हुए खारिज कर दिया है। महामारी के अलावा, गांवों से लेकर खलीफाबाग बाजार में अपने बंद दुकानों के बाहर बैठे व्यापारियों तक में एक बात पर व्यापक सहमति है। बंद कपड़े की दुकान पर एक व्यापारी कहते हैं, “हमारा कारोबार 80% नीचे है, मामले बढ़ रहे हैं, मौतें हो रही हैं, लोगों के पास आय नहीं है और अब बाढ़ आ गई है। ऐसे में यह वक्त चुनाव का नहीं है।
लोगों का कहना है कि मौजूदा समय कोरोना महामारी से लड़ने का है। यह चुनाव का समय नहीं है। हालांकि, भाजपा नेता का मानना है कि यदि आप लोगों के साथ खड़े नहीं होते हैं, घर में ही छुपे रहते हैं तो आप के खिलाफ वोटिंग होगी।”
भागलपुर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर उन 1500 गांवों में जहां गरीबी सबसे अधिक है। जिले में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर लौटे हैं जिनके पास अब कोई काम नहीं है। इसके अलावा लोग बाढ़ की विभिषिका भी झेल रहे हैं।