भारत में कोरोनावायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों पर पड़ा है। कारोबार और उद्योगों में बंदी की वजह से महाराष्ट्र और गुजरात में दिहाड़ी मजदूरों के तौर पर काम करने वाले श्रमिकों को लाखों की संख्या में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है। हालांकि, अपने गृह राज्य लौटते हुए भी उनका सफर मु्श्किलों भरा ही रहा। ऐसा ही सफर रहा उत्तर प्रदेश के जौनपुर के आशीष विश्वकर्मा का जो लॉकडाउन के बाद मुंबई से परिवार समेत घर के लिए निकले थे। रास्ते की चुनौतियों ने उन्हें इस कदर घेरा कि पूरा परिवार बिना खाने के तीन दिन तक सिर्फ पानी पर ही जिंदा रहा।
आशीष विश्वकर्मा लॉकडाउन से पहले तक मुंबई के नालासोपारा में रह रहे थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक डेढ़ साल की बेटी भी है। विद्याविहार में बढ़ई का काम करने वाले आशीष को जनता कर्फ्यू के ऐलान के बाद से ही काम ढूंढने में खासी मुश्किल आ गई। जैसे ही उनके आसपास रहने वाले परिवारों ने काम की कमी के मद्देनजर गांव लौटना शुरू किया, वैसे ही आशीष ने भी घर लौटना ही बेहतर समझा। अपनी कमाई से बचाए 6 हजार रुपए उसने एक ट्रक वाले को दिए, ताकि उत्तर प्रदेश तक का सफर पूरा हो सके।
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आशीष के मुताबिक, पहले उसे बताया गया कि ट्रक में 35 लोग होंगे, लेकिन फिर एकाएक ट्रक में 50 लोग भर गए। ट्रक को पहले रात में ही जाना था, लेकिन जैसे ही लोगों को इलाके में कोरोनावायरस के मामलों का पता चला, वैसे ही ट्रकों को रवाना कर दिया गया। 10 मई को मुंबई छोड़ने के बाद पूरा परिवार अपने लिए खाना जुटाने में असफल रहा। रास्ते में सारे होटल बंद थे और परिवार को सिर्फ पानी पीकर ही सफर पूरा करना पड़ा। आशीष के मुताबिक, उनके पास बेटी के लिए दूध का पाउडर था, लेकिन उसके लिए भी साफ पानी की जरूरत थी, जो कि काफी कम था। उनकी बेटी गर्मी में पूरे रास्ते रोती रही। हालांकि, 14 मई को परिवार जौनपुर पहुंच गया।
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फिलहाल पूरा विश्वकर्मा परिवार घर लौटने के बाद से ही पास के खेतों में रुका है, ताकि गांव में मौजूद बाकी लोगों के संपर्क में आने से बचा जा सके। आशीष का एक ढाई साल का बेटा भी है, जो जौनपुर में अपने दादा-दादी के पास ही रहता है। गांव में पूरा परिवार अभी मुंबई से लाए हुए खाने पर ही रह रहा है। आशीष के मुताबिक, वे अभी सब्जी नहीं खरीद रहे और उनके पास खेती भी नहीं है। इन स्थितियों के बीच सामान्य सेवाओं के शुरू होते ही वे वापस मुंबई लौटना चाहते हैं।